Famous Hill Station Himachal: जब आप किसी यात्रा का प्लान करते हैं तो दिमाग में कई शहर इर्द-गिर्द घूमने लगते हैं. वहां की खूबसूरती देखने के लिए आंखें बेचैन हो उठती हैं. यदि आप हिल स्टेशन घूमने के साथ ही प्राचीन मंदिरों के दीदार करना चाहते हैं तो हिमाचल की यात्रा यादगार बन सकती है. देवभूमि की धरती हजारों छोटे-बड़े मंदिरों से भरी पड़ी है. यहां चिंतपूर्णी, त्रिलोकीनाथ, माता ज्वाला जी, भीमाकाली, नयना देवी जैसे कई मंदिर हैं, जिनका वैभव चारों दिशाओं में फैला है. लेकिन, क्या आपने ऐसे मंदिर को देखा है, जो सालभर में 4 माह ही भक्ताें को दर्शन देता है और बाकी 8 माह पानी में डूबा रहता है? आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में-
चार माह ही होते हैं दर्शन
कांगड़ा जिले में स्थित बाथू का मंदिर (Bathu temple) पंजाब के जालंधर से करीब 150 किमी दूर स्थित महाराणा प्रताप सागर झील में पोंग बांध की दीवार से 15 किमी दूर एक टापू पर बना है. इसकी खासियत है कि यह मंदिर 8 माह पानी में डूबा रहता है और फरवरी से जुलाई तक 4 माह ही भक्तों को दर्शन देता है. बाथू मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के अलावा, अन्य आठ छोटे मंदिर भी हैं, जिन्हें दूर से देखने पर एक माला में पिरोया हुआ-सा प्रतीत होता है, इसलिए इस मंदिर को बाथू की लड़ी (माला) कहा जाता है.
ऐतिहासिक मंदिर की मान्यता
मंदिर के जानकार अनिल भारद्वाज के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा कराया गया था. उनका मानना है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान यहीं अपनी स्वर्ग की सीढ़ी बनाने की कोशिश की थी. हालांकि, वो इसे बनाने में वो सफल नहीं हो सके थे, क्योंकि इन सीढ़ियों का निर्माण उन्हें एक रात में करना था. इस मंदिर में स्वर्ग में जाने वाली 40 सीढ़ियां आज भी मौजूद हैं. वहीं, कुछ लोग इस मंदिर को स्थानीय राजा द्वारा बनवाए जाने की बात करते हैं.
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भगवान शिव को समर्पित है मंदिर
भारद्वाज के मुताबिक, इन मंदिरों में शेषनाग, विष्णु भगवान की मूर्तियां स्थापित हैं और बीच में एक मुख्य मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति स्थापित है. कुछ लोग इसे भगवान विष्णु को समर्पित मानते हैं परंतु मंदिर की शैली और बनावट को देखते हुए इसे शिव मंदिर माना गया है. कुछ वर्ष पहले स्थानीय लोगों ने मंदिर में पुन: एक शिवलिंग की स्थापना भी की है. मंदिर में इस्तेमाल पत्थर, शिलाओं पर भगवान विष्णु, शेष नाग और देवियों इत्यादि की कलाकृतियां हैं. यह मंदिर बा थू नाम के शक्तिशाली पत्थर से बना है.
मंदिर जाने का सही समय
यदि आप बाथू मंदिर के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो अप्रैल से जून तक का समय अच्छा है. बाकी के महीने यह मंदिर पानी में डूबा रहता है. सिर्फ इसका ऊपरी हिस्सा ही दिखाई देता है. बांध के निर्माण के 43 साल से यह मंदिर जल समाधि लेता आ रहा है. इस मंदिर तक नाव से ही पहुंचा जा सकता है. यहां वन विभाग का एक गेस्ट हाउस भी है. करीबी एयरपोर्ट धर्मशाला का गग्गल एयरपोर्ट है. कांगड़ा से जवाली या धमेता गांव तक टैक्सी किराए पर ली जा सकती है.
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