2013 का मुजफ्फरनगर दंगा: महिला और बालक की जिंदा जलाकर हत्या, कोर्ट ने दिया ये फैसला

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2013 का मुजफ्फरनगर दंगा: महिला और बालक की जिंदा जलाकर हत्या, कोर्ट ने दिया ये फैसला

Muzaffarnagar News: वर्ष 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगे के दौरान शामली के गांव लांक में 13 वर्षीय बालक और एक महिला की जिंदा जलाकर की गई हत्या के मामले में कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में एक आरोपी को दोषमुक्त कर दिया। हत्याकांड के मामले में अन्य 10 आरोपियों को कोर्ट की ओर से नौ वर्ष पहले ही दोषमुक्त किया जा चुका है।

सात सितंबर 2013 को जनपद में सांप्रदायिक दंगा भड़क उठा था। गांव लांक निवासी इकबाल ने मुकदमा दर्ज कराते हुए बताया था कि वह आठ सितंबर 2013 को वह अपने परिवार के साथ घर पर था। आरोप था कि दोपहर करीब एक बजे सांप्रदायिक नारेबाजी करते हुए दर्जनों लोगों ने उसके और पड़ोसियों के घर पर हमला बोल दिया था।

हंगामा कर रहे लोगों ने उसके 13 वर्षीय बेटे आस मोहम्मद और उसकी पत्नी रमजानो को घर से खींच लिया था, जबकि पड़ोसी महिला सराजो को भी भीड़ ने घेर कर घर से बाहर निकाल लिया था। आरोप था कि हंगामा कर रहे लोगों ने आस मोहम्मद की आंख में भाला मारकर उसे गंभीर घायल कर दिया था। वहीद का आरोप था कि उसकी पत्नी सराजो को गोली मारकर घायल कर दिया गया था। इसके बाद दोनों को पेट्रोल छिड़क कर जिंदा जला दिया गया था। दोनों के शव पुलिस ने 10 सितंबर को लांक में बड़ी मस्जिद से क्षत-विक्षत अवस्था में बरामद किए थे। घटना के मुकदमे की जांच एसआइसी के उप निरीक्षक राम प्रताप सिंह सिसौदिया ने की थी।

उन्होंने बीनू निवासी लांक सहित 11 लोगों के विरुद्ध कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। बीनू के फरार होने के कारण उसकी पत्रावली अन्य आरोपियों से अलग कर दी गई थी। घटना के मुकदमे की सुनवाई विशेष एससी-एसटी न्यायाधीश कोर्ट में हुई। सुनवाई के दौरान वादी मुकदमा बयान से मुकर गया था। दोनों पक्ष की सुनवाई कर कोर्ट ने आरोपी बीनू निवासी लांक को दोषमुक्त कर दिया।

डबल मर्डर में 10 आरोपी सात वर्ष पहले हो गए थे बरी
सांप्रदायिक दंगे के दौरान जिंदा जलाकर की गई महिला और बालक की हत्या के मामले में 11 आरोपियों को नामजद किया गया था। एक आरोपी के फरार होने के कारण बाकी 10 के विरुद्ध सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान वादी मुकदमा इकबाल अपने बयान से मुकर गया था। अभियोजन की याचना पर कोर्ट ने उसे पक्षद्रोही घोषित करते हुए उसके विरुद्ध प्रकीर्ण वाद पंजीकृत करने का आदेश दिया था। वहीं साक्ष्य के अभाव में पांच फरवरी 2016 को अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-11 ने सभी 10 आरोपियों को बरी कर दिया था। बरी होने वाले आरोपियों में कुलदीप, देवेन्द्र, भारत, नीरज, सतेन्द्र, विनय, प्रताप, मोनू, अंकित और श्रवण निवासीगण लांक शामिल रहे।

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