नई दिल्ली। मॉब लिंचिंग के शिकार अल्पसंख्यक पीड़ितों के परिवार को मदद मुहैया करवाने और गोरक्षकों पर कार्रवाई को लेकर एक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को ही लताड़ लगा दी। याचिकाकर्ता वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि मॉब लिंचिंग का शिकार हुए अल्पसंख्यकों तो तत्काल वित्तीय मदद दी जाए और आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
इसपर सुनवाई कर रही जस्टिस बीआर गवाई, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने याचिकाकर्ता वकीलों से कहा कि उदयपुर में दिन दहाड़े मार दिए जाने वाले टेलर कन्हैया लाल के मामले का क्या हुआ? कोर्ट ने वकीलो को फटकारते हुए कहा कि इस मामले को लेकर इस तरह सिलेक्टिव होने की जरूरत नहीं है।
याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वकील निजाम पाशा से सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राजस्थान के टेलर कन्हैया लाल का क्या हुआ जिनकी लिंचिंग की गई थी। उन्होंने कहा कि आप किसी राज्य या धर्म विशेष को लेकर सिलेक्टिव नहीं हो सकते। बता दें कि पूर्व भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के बयान का समर्थन करते हुए सोशल मीडिया पोस्ट करने के बाद कन्हैया लाल की बेरहमी से उनकी दुकान में ही गला काटकर हत्या कर दी गदई थी।
इस मामले में वकील अर्चना पाठक ने कहा, यह केवल मुस्लिमों की लिंचिंग के बारे में है। उन्होंने कहा, आखिर कोई इतना सिलेक्टिव कैसे हो सकता है। किसी भी राष्ट्र को सभी धर्मों के लोगों की रक्षा करना चाहिए। वहीं वकील पाशा ने कहा, केवल मुस्लिमों की लिंचिंग हो रही है और यह फैक्ट है।