नई दिल्ली। दिल्ली में साकेत कोर्ट ने मानहानि मामले में नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को यह कहते हुए राहत दे दी कि पाटकर एक उल्लेखनीय सामाजिक कार्यकर्ता हैं और उन्हें उनके काम के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं।
वीके सक्सेना को देना होगा एक लाख का मुआवजा
उनके द्वारा किया गया अपराध इतना गंभीर नहीं है कि उन्हें कारावास की सजा दी जाए। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल सिंह अदालत ने उन्हें अच्छे आचरण के लिए रिहा कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह उन पर लगाया गया जुर्माना नहीं भरेंगी, लेकिन उन्हें वीके सक्सेना को एक लाख का मुआवजा देना होगा।
अदालत ने उन्हें एक साल के प्रोबेशन पर रिहा करने का आदेश दिया है। मेधा पाटकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुईं। इससे पहले कोर्ट ने उनकी दोष सिद्धि को बरकरार रखा था।
वीके सक्सेना ने दर्ज कराया था मानहानि का मुकदमा
बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मेधा पाटकर पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। तब वीके सक्सेना गुजरात में कार्यरत थे।
क्या होता है प्रोबेशन पर रिहा करना?
प्रोबेशन का मतलब होता है अपराधी का अदालत द्वारा तय किए गए समय तक आचरण देखा जाएगा। यदि उक्त समय तक उनका आचरण आदि सब ठीक रहता है तो मामला खत्म कर दिया जाता है। अपराधी का आचरण कोर्ट ऑफिसर के द्वारा ऑब्जर्व किया जाता है। इसी को ही प्रोबेशन कहा जाता है।