राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और अवैध धर्मांतरण कराने के आरोपी जमालुद्दीन उर्फ छांगुर का 18 सदस्यों का गैंग था। वहीं तहसील और न्यायालयों में पैठ भी बनाने में भी पीछे नहीं था। उतरौला तहसील कर्मियों से मिलीभगत कर एक तालाब को ही अपने नाम करवा लिया था। इसके साथ ही पुणे में 16 करोड़ की एक जमीन क्रय किया और उसका एग्रीमेंट कर कमाई की योजना बनाई। जिसमें मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) के लिपिक की पत्नी को हिस्सेदार बनाया।
न्यायालय में पैठ होने के बाद धर्मांतरण में सहयोग न करने वाले या फिर किसी तरह का विरोध पर उनके खिलाफ एफआईआर का आदेश कराने में उसे आसानी हो गई थी। एटीएस की जांच में यह तथ्य उजागर हुआ कि न्यायालय में पैठ बनाने में छांगुर सफल हो गया था। बलरामपुर शहर से सटे बड़ा घुसाह गांव की संगीता देवी को पुणे के मावल तहसील के ग्राम कुनेनामा में क्रय की गई जमीन के कारोबार में हिस्सेदार बनाया। संगीता सीएजेएम न्यायालय के लिपिक राजेश उपाध्याय की पत्नी हैं। एटीएस की रिपोर्ट के मुताबिक एग्रीमेंट में जमीन के करोबार में संगीता को मुनाफे का अंश दिए जाने का उल्लेख है। वहीं न्यायालय के आदेश पर इस्लाम धर्म कबूल न करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराए जाने का मामला भी सामने आया है। एटीएस की मानें तो संचित और मालती देवी अनूसूचित वर्ग के हैं, उन्होंने इस्लाम धर्म कबूल नहीं किया तो छांगुर की गैंग ने दोनों के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज करा दी गई। इस तरह छांगुर हर स्तर से पैठ गहरी करके संगठित तरीके से धर्मांतरण का गिरोह संचालित कर रहा था। अब एटीएस की कार्रवाई के बाद लोग भूमिगत हो गए हैं।
छांगुर गिरोह के 18 सदस्यों में अभी 14 की हो रही तलाश
छांगुर के धर्मांतरण गिरोह में 18 सदस्यों के शामिल होने की रिपोर्ट है। एटीएस ने अपनी जांच में इसका जिक्र किया है कि छांगुर की गैंग में 18 सदस्य हैं, जिसमें अभी छांगुर समेत चार की ही गिरफ्तारी हो सकी है। माना जा रहा है कि 14 अन्य लोगों की तलाश हो रही है। एटीएस की टीम लगातार नजर बनाए है। देर सबेर अन्य 14 लोग भी एटीएस की गिरफ्त में होंगे। इसमें गोंडा, सिद्धार्थनगर, आजमगढ़, औरैया व पुणे आदि जिलों व प्रदेशों के लोग शामिल हैं। एटीएस की रिपोर्ट के मुताबिक देश की एकता और अखंडता को प्रभावित करने के लिए छांगुर लगातार अपनी गैंग का विस्तार कर रहा था। एटीएस की कार्रवाई के बाद उसके मंसूबों पर पानी फिर गया है।