India China Relations: भारत और चीन के रिश्ते अब सामान्य होते हुए नजर आ रहे हैं। गलवान में हुए संघर्ष के बाद दोनों देशों के संबंध निचले स्तर तक पहुंच गए थे। फिलहाल, समय बदला है और अब दोनों देश सीमा मुद्दे समेत अन्य विवादों को सुलझाने में तत्पर नजर आ रहे हैं। इसी क्रम में चीन के विदेश मंत्री वांग यी सोमवार (18 अगस्त 2025) को अपने दो दिनों के भारत दौरे पर नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। वांग यी अपने भारत दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे। चीनी विदेश मंत्री वांग यी के भारत दौरे से संबंधों के नए आयाम बनेंगे? चलिए इसी पर एक नजर डालते हैं।
ट्रेड वॉर के बीच अहम है वांग यी का भारत
दौरा चीनी विदेश मंत्री वांग यी का यह दौरा इसलिए भी बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि अमेरिका ने भारत और चीन समेत एशिया के तमाम देशों के खिलाफ एक तरह से ट्रेड वॉर छेड़ रखी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को दोगुना करके 50 प्रतिशत कर दिया है। ट्रंप का तर्क यह है कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है जिसकी वजह से रूस को यूक्रेन के खिलाफ जंग में मदद मिल रही है। हालांकि, चीन भी रूस से तेल खरीद रहा है लेकिन ट्रंप प्रशासन ने यहां अलग नीति अपना रखी है। अब ट्रेड वॉर के ऐसे दौर में वांग यी का यह दौरा दोनों देशों के बीच अहम साबित हो सकता है।
वांग यी के दौरे के क्या हैं मायने?
वांग यी की यात्रा के दौरान भारत और चीन विवादित सीमा पर स्थायी शांति और स्थिरता के लिए नए उपायों पर चर्चा करेंगे। वांग यी की यह यात्रा इस लिए भी अहम है क्योंकि इस महीने के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन की यात्रा करने वाले हैं। चीनी विदेश मंत्री की इस यात्रा को दोनों पड़ोसियों की ओर से अपने संबंधों के पुनर्निर्माण के लिए चल रहे प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। यह सब एक दिन में नहीं हुआ है इसके लिए भारत और चीन के बीच बीते पांच सालों में बदलते हुए संबंधों पर भी डालनी होगी।
अहम रही है पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात
2020 से 2025 के बीच भारत-चीन संबंधों में गर्माहट देखने को मिली है। सीमा विवाद को लेकर तनाव कम जरूर हुआ है। भारत-चीन के संबंधों में अब सावधानी की जगह सहयोग की संभावना नजर आ रही है। दोनों देश लगातार बातचीत भी कर रहे हैं। इन वर्षों में भारत और चीन के संबंध आगे बढ़े हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात भी हुई है। रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर हुई इस मुलाकात के बाद चीन की ओर से कहा गया था कि वह दोनों नेताओं के बीच अहम मुद्दों पर बनी आम सहमति को लागू करने के लिए तैयार है। बैठक में पीएम मोदी ने भी मतभेदों और विवादों को उचित तरीके से निपटाने, सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया था। उन्होंने कहा था कि परस्पर विश्वास, एक-दूसरे का सम्मान और संवेदनशीलता को संबंधों का आधार बने रहना चाहिए। वहीं, शी ने कहा था कि चीन-भारत संबंध इस बात पर निर्भर करते हैं कि दोनों बड़े विकासशील देश एक-दूसरे के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। उन्होंने कहा था कि चीन और भारत को एक-दूसरे के प्रति अच्छी धारणा बनाए रखनी चाहिए। दोनों देशों को मिलकर काम करना चाहिए।
गलवान के बाद बिगड़ गए थे रिश्ते
बता दें कि, जून 2020 में गलवान घाटी में हुई सैन्य झड़प के बाद भारत और चीन के बीच संबंध निचले स्तर पर पहुंच गए थे। यह झड़प पिछले कुछ दशकों में दोनों पक्षों के बीच हुई सबसे भीषण सैन्य झड़प थी। इस झड़प के बाद भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले बाकी स्थानों से सैनिकों को हटाने समेत गश्त शुरू करने को लेकर समझौते पर सहमत हुए थे। इस समझौते को पूर्वी लद्दाख में लगभग चार वर्षों से जारी सैन्य गतिरोध के समाधान की दिशा में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा गया था।
रूस ने भी दिए हैं संकेत
भारत और चीन के संबंधों को लेकर हाल ही में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी बड़ा बयान दिया था। लावरोव ने भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार के संकेतों का हवाला देते हुए उम्मीद जताई थी कि रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय वार्ता जल्द फिर से शुरू होगी। लावरोव ने यह भी कहा था कि इस समूह की अब तक ना केवल विदेश मंत्रियों के स्तर पर, बल्कि तीनों देशों की अन्य आर्थिक, व्यापार और वित्तीय एजेंसियों के प्रमुखों के स्तर पर 20 से ज्यादा मंत्रिस्तरीय बैठकें हो चुकी हैं।