नई दिल्ली: सीएसडीएस (Centre for the Study of Developing Societies) वाले प्रोफेसर और चुनावी विश्लेषक संजय कुमार ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से संबंधित एक्स पोस्ट के लिए माफी मांगी है। उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा और 2024 के विधानसभा चुनावों के आंकड़ों की तुलना करते समय गलती हुई। पोस्ट अब हटा दिया गया है। ये जानकारी मुख्य निर्वाचन अधिकारी बिहार ने दी है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी बिहार ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट कर कहा, “उनके (संजय कुमार) आंकड़ों का हवाला कई कांग्रेस और विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाने के लिए दिया था।”
संजय कुमार ने क्या कहा?
सीएसडीएस वाले प्रोफेसर संजय कुमार ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, “महाराष्ट्र चुनावों के संबंध में पोस्ट किए गए ट्वीट के लिए मैं तहे दिल से माफी चाहता हूं। 2024 के लोकसभा और 2024 के विधानसभा चुनावों के आंकड़ों की तुलना करते समय त्रुटि हुई। पंक्ति में दिए गए आंकड़ों को हमारी डेटा टीम ने गलत पढ़ा था। ट्वीट को अब हटा दिया गया है। मेरा किसी भी प्रकार की गलत सूचना फैलाने का कोई इरादा नहीं था।”
बीजेपी नेता अमित मालवीय का सामने आया बयान
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा, “वह संस्थान, जिसके आंकड़ों पर भरोसा कर राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के मतदाताओं को बदनाम किया, अब खुद मान चुका है कि उसके आंकड़े गलत थे, न सिर्फ़ महाराष्ट्र पर बल्कि SIR पर भी। तो अब राहुल गांधी और कांग्रेस की क्या स्थिति है, जिसने बेशर्मी से निर्वाचन आयोग को निशाना बनाया और यहां तक कि असली मतदाताओं को भी नकली कह दिया? शर्मनाक। राहुल गांधी को तुरंत बिहार में अपनी “घुसपैठिया बचाओ यात्रा” छोड़कर भारत की जनता से अपनी गैर-जिम्मेदार और प्रतिगामी राजनीति के लिए बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए।”
CSDS वाले संजय कुमार ने तो गलत आंकड़ों पर माफी मांग ली लेकिन अब कांग्रेस क्या कदम उठाएगी? क्योंकि कांग्रेस ने इन आंकड़ों के आधार पर ही बीजेपी और चुनाव आयोग को घेरा था। देखना ये होगा कि अब कांग्रेस क्या स्टैंड लेती है।
क्या है CSDS? कब हुई थी स्थापना?
CSDS भारत में सामाजिक विज्ञान और मानविकी के लिए एक प्रमुख शोध संस्थान है। इसकी स्थापना 1963 में राजनी कोठारी ने की थी और इसे मुख्य रूप से भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) से फंडिंग मिलती है। यह नई दिल्ली में, दिल्ली विश्वविद्यालय के पास स्थित है। सीएसडीएस का मुख्य काम सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक मुद्दों पर शोध करना, सर्वेक्षण आयोजित करना, और नीति निर्माण में योगदान देना है। यह लोकतंत्र, सामाजिक परिवर्तन, और समावेशी विकास जैसे विषयों पर गहन अध्ययन करता है।