इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि केवल दो आपराधिक मामलों में नाम दर्ज होने के आधार पर किसी को गुंडा घोषित नहीं किया जा सकता। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने ललितपुर के एडीएम की ओर से गुंडा एक्ट के तहत जारी नोटिस को रद्द कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति अवनीश सक्सेना की खंडपीठ ने सौरभ कुमार की याचिका पर दिया।
याची सौरभ कुमार के खिलाफ 30 जून 2025 को ललितपुर के एडीएम ने दो मुकदमों व एक बीट रिपोर्ट के आधार पर यूपी गुंडा एक्ट के तहत नोटिस जारी किया था। याची ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। अधिवक्ता ने दलील दी कि केवल दो आपराधिक मामलों और एक बीट रिपोर्ट के आधार पर इस प्रकार का नोटिस जारी करना कानून का उल्लंघन है। गोवर्धन बनाम राज्य (2023) के मामले का हवाला दिया जिसमें कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि मात्र दो मामलों में नाम आने से किसी को गुंडा की परिभाषा में नहीं लाया जा सकता।
कोर्ट ने ललितपुर के एडीएम की ओर से जारी नोटिस को प्रशासनिक शक्ति का दुरुपयोग मानते हुए रद्द कर दिया। साथ ही उन्हें भविष्य में ऐसे मामलों में कानूनी मानकों का पालन करने और सावधानी बरतने के निर्देश दिए।