अलीगढ़ स्मार्ट सिटी के 37 बड़े प्रोजेक्ट की जांच शुरू होने जा रही है। इन प्रोजेक्ट पर खर्च हुए 970 करोड़ का हिसाब लिया जाएगा। इसके लिए मंडलायुक्त के निर्देश पर नगर आयुक्त ने चार सदस्यीय कमेटी बना दी है जो सप्ताह भर में अपनी रिपोर्ट रखेगी। पार्कों का सुंदरीकरण, स्मार्ट चौराहे और स्मार्ट रोड पर तकनीकी रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी।
दरअसल वर्ष 2017 में अलीगढ़ महानगर का चयन स्मार्ट सिटी योजना में हुआ था। इस योजना के तहत एक बड़े इलाके को चिन्हित कर एबीडी (एरिया बेस्ड डेवलपमेंट) प्लान बनाया गया है। फिर वहां पेयजल योजना, स्मार्ट चौराहे, पार्कों का सुंदरीकरण, इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आई-ट्रिपल सी), सीवर लाइन, स्मार्ट रोड, हैबीटेट सेंटर, अचल ताल सुंदरीकरण का कार्य कराया जा रहा है। इनमें एक दो प्रोजेक्ट को छोड़ दिया जाए तो बाकी काम हो चुका है। लेकिन अब यह प्रोजेक्ट जांच के घेरे में आ गए हैं।
हालांकि शिकायतें पहले भी गूंजती रहीं हैं। दिशा की बैठक में मुद्दा उठा था। विकास कार्यों की समीक्षा में भी स्मार्ट सिटी के तहत होने वाले कार्य सवालों के घेरे में रहे। कोल के विधायक अनिल पाराशर ने आरोप लगाया था कि स्मार्ट सिटी द्वारा किए गए विकास कार्यों में बड़ा गोलमाल हुआ है। सरकारी धन की बर्बादी की गई है। कई पुराने कार्यों की स्थिति ठीक होने के बावजूद उन्हें तोड़कर दोबारा निर्माण कराया गया। इन सभी शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए शासन ने स्मार्ट सिटी अध्यक्ष व मंडलायुक्त संगीता सिंह को पत्र लिख जांच कर आख्या शासन को भेजने का आदेश जारी किया। मंडलायुक्त ने नगर आयुक्त को जांच का आदेश दिया।
स्मार्ट सिटी योजना में करोड़ों के कार्यों में धन का दुरुपयोग किया गया है। कार्यों की गुणवत्ता और समयबद्धता का भी ध्यान नहीं रखा गया है। गुणवत्ता भी ठीक नहीं है। इस पूरी योजना का अपेक्षित लाभ जनता को नहीं मिला। सीएम को पत्र लिखा था। जांच हुई तो कई फसेंगे। – अनिल पाराशर, विधायक, कोल
स्मार्ट सिटी योजना के कार्यों की जांच का आदेश हुआ था। सभी पहलुओं पर जांच करते हुए कमेटी को सात दिन में रिपोर्ट सौंपनी है। – प्रेम प्रकाश मीणा, नगर आयुक्त