लखीमपुर खीरी के खमरिया कस्बा स्थित रामजानकी मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा करने आए कथा वाचक पर ब्राह्मण समाज ने आरोप लगाया है कि उन्होंने अपनी पहचान छिपाकर समाज के लोगों से पैर छुआए। आक्रोशित समाज के लोगों ने जब घेराव किया। इस पर कथा वाचक को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी। इसके बाद कथा छोड़कर वहां से चले गए।
धौरहरा तहसील क्षेत्र के खमरिया कस्बे में इटावा जैसा मामला सामने आया है। यहां रामजानकी मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन मंदिर समिति के लोगों ने किया। सात दिवसीय कथा में कस्बे के अन्य लोगों के साथ ब्राम्हण समाज के भी लोग कथा सुनने आने लगे। परंपरा के तौर पर सभी लोगों ने कथा व्यास के पैर भी छुए।
ब्राह्मण समाज में फैला आक्रोश
संत वेश धारण कर सफेद वस्त्रों में कथा वाचक पारस मौर्य ने पैर छूने वाले सभी लोगों को भी आशीर्वाद दिया। इनमें ब्राह्मण समाज के लोग भी थे। बुधवार को ब्राह्मण समाज के लोगों को जानकारी हुई कि यह कथा वाचक मौर्य समाज से होकर भी ब्राह्मण समाज के लोगों से पैर छुआते हैं तो आक्रोश फैल गया। काफी संख्या में लोगों ने कथा व्यास पीठ पर कथा वाचक को घेर लिया।
कथावाचक से सार्वजनिक रूप से माफी मंगवाई
कथा वाचक पारस मौर्य ने अपनी पहचान छिपाकर खुद को पारस नाथ तिवारी निवासी काशी विश्वनाथ बताकर ब्राह्मण समाज से पैर छुआने और जाति छिपा कर कथा सुनाने की बात स्वीकारते हुए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। इसके बाद वह कथा छोड़ कर चले गए। वहीं प्रभारी निरीक्षक ओपी राय ने बताया कि इस संबंध में किसी ने कोई सूचना नहीं दी गई है।