हे नाथ, आपके चरणों की धूल से तो पत्थर भी तर जाते हैं। यदि यह मेरी नाव पर लग गई तो मेरी नाव भी मनुष्य बन जाएगी और मेरा परिवार बेरोजगार हो जाएगा। यदि आपको नदी के पार जाना है तो आप पहले अपने चरण धोने दीजिए… केवट द्वारा श्रीराम से किए गए संवाद सुनकर पूरा मैदान हर-हर गंगे और सियावर रामचंद्र के जयकारों से गूंज उठा।
बरेली में श्री रानी महालक्ष्मीबाई रामलीला समिति की ओर से चौधरी मोहल्ले में चल रही रामलीला में बुधवार को गंगा पार की लीला और राम-भरत मिलन का मंचन किया गया। मंचन के दौरान भाजपा नेता अनिल कुमार ने श्रीराम के स्वरूप की आरती उतारी। वनवास के दौरान जब श्रीराम, सीता और लक्ष्मण गंगा तट पर पहुंचे, तब केवट प्रसंग का मंचन किया गया।
श्रीराम के कहने के बाद केवट ने राम के चरण धोए, चरणामृत को अपने माथे से लगाया और परिवार सहित उसे ग्रहण किया। फिर उसने राम, सीता, लक्ष्मण को नाव में बैठाकर गंगा पार कराई। समिति के अध्यक्ष रामगोपाल मिश्रा ने बताया कि यह भारत की एकमात्र रामलीला है, जहां चौधरी तालाब के अंदर नाव में बैठकर गंगा पार का सजीव मंचन किया जाता है। प्रेम, भक्ति और समर्पण का यह अनूठा दृश्य देखकर सभी दर्शक भावविभोर हो गए। नदी पार कराने के मंचन के बाद राम-भरत मिलन का भावुक मंचन किया गया।

