पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर रस्साकशी तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल यानी कि RJD ने अपने उम्मीदवारों को सिंबल बांटना शुरू कर दिया है, जबकि गठबंधन में सीटों का अंतिम ऐलान अभी तक नहीं हो सका है। कांग्रेस कम से कम 60 सीटों पर अड़ी है, वहीं विकासशील इंसान पार्टी (VIP) और वामपंथी दल भी अपनी मांगों पर डटे हुए हैं। इस बीच, तेजस्वी यादव बुधवार को राघोपुर से नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं।
महागठबंधन में अभी तक नहीं बन पाई सहमति महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर कई दौर की बैठकों के बाद भी कोई सहमति नहीं बन पाई है। RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के सामने सवाल यह है कि क्या कांग्रेस 60 सीटों पर लड़ेगी? क्या मुकेश सहनी की VIP 20 सीटों से कम पर मान जाएगी? और क्या वामपंथी दल अपनी सीटों में कटौती के लिए तैयार होंगे? इन सवालों का जवाब न तो RJD, न कांग्रेस, न VIP और न ही वामपंथी दलों के पास है।
तेजस्वी की दिल्ली यात्रा बेनतीजा, RJD ने बांटे सिंबल सोमवार को तेजस्वी यादव दिल्ली गए और कांग्रेस नेता राहुल गांधी से फोन पर बात की, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। पटना लौटते ही RJD ने अपने उम्मीदवारों को सिंबल बांटना शुरू कर दिया। परबत्ता से डॉ. संजीव कुमार, मटिहानी से बोगो सिंह, हथुआ से राजेश कुमार सिंह (राजेश कुशवाहा), मनेर से भाई वीरेंद्र, साहेबपुर कमाल से ललन यादव और संदेश से मौजूदा विधायक किरण देवी के बेटे दीपू यादव को RJD का टिकट मिला है।
हालांकि, कुछ उम्मीदवारों ने सोशल मीडिया पर सिंबल शेयर किए, जिस पर तेजस्वी ने नाराजगी जताते हुए उन्हें फटकार लगाई। RJD प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने दावा किया कि बिहार में जल्द ही ‘खेला’ होगा, लेकिन गठबंधन में सीट बंटवारे की देरी ने बेचैनी बढ़ा दी है। आज कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होने वाली है, जिसमें सीट शेयरिंग पर अंतिम फैसला हो सकता है।
महागठबंधन में आखिर कहां अटका है पेंच?
महागठबंधन में सीट बंटवारे का सबसे बड़ा पेंच कांग्रेस की मांग है। कांग्रेस कम से कम 60 सीटों पर लड़ना चाहती है, जबकि RJD 50-55 सीटों से ज्यादा देने को तैयार नहीं। 2020 के चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन सिर्फ 19 सीटें जीत सकी थी। खराब स्ट्राइक रेट को देखते हुए लालू यादव इस बार सतर्क हैं। वहीं, मुकेश सहनी की VIP को 18 सीटें देने की बात चल रही है, लेकिन RJD ने शर्त रखी है कि इनमें से 10 सीटों पर RJD के उम्मीदवार VIP के सिंबल पर लड़ेंगे। VIP इस शर्त पर राजी नहीं है। वामपंथी दलों ने भी 75 सीटों की मांग की है, लेकिन RJD 19 से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं।
कुछ सीटों पर महागठबंधन के घटक दलों में तनातनी
सीट शेयरिंग के साथ-साथ कुछ सीटों पर भी गठबंधन में तनाव है। भागलपुर की कहलगांव सीट, जो कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है, पर तेजस्वी अपना उम्मीदवार उतारने पर अड़े हैं। चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद तेजस्वी ने यहीं से अपनी पहली जनसभा की थी। बेगूसराय की बछवारा सीट पर भी विवाद है। 2020 में यह सीट कांग्रेस को मिली थी, और अब वह शिवप्रकाश गरीब दास को उतारना चाहती है, जिन्हें पिछले चुनाव में निर्दलीय 40 हजार वोट मिले थे। इस वजह से CPI के अवधेश कुमार राय हार गए थे। RJD इस सीट को CPI को देना चाहती है। नरकटियागंज सीट पर भी तनातनी है, जहां 2020 में कांग्रेस के विनय वर्मा हार गए थे। इस बार RJD दीपक यादव को उतारना चाहती है, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में वाल्मीकि नगर से हार चुके हैं।
जल्द फैसला नहीं हुआ तो महागठबंधन को नुकसान
NDA में जहां सीट शेयरिंग और टिकट बंटवारे के बाद हंगामा मचा है, वहीं महागठबंधन में अभी तक सीटों का बंटवारा ही नहीं हो सका। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर जल्द फैसला नहीं हुआ तो महागठबंधन को बड़ा नुकसान हो सकता है। दूसरी ओर, बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है, जिससे महागठबंधन पर दबाव बढ़ गया है। सीट बंटवारे का असली नजारा तब सामने आएगा, जब गठबंधन में अंतिम सहमति बनेगी। तब तक लालू और तेजस्वी के सामने चुनौतियां कम नहीं हैं। क्या महागठबंधन एकजुट होकर NDA को टक्कर दे पाएगा, या आंतरिक खींचतान उसकी राह में रोड़ा बनेगी? यह सवाल बिहार की सियासत में गूंज रहा है

