एक पैर कट गया है। जबकि दूसरा बुरी तरह से जख्मी है। इसके बावजूद भी इक्कीस साल की फूलमाला ने हिम्मत नहीं हारी। जेएन मेडिकल कालेज के वार्ड संख्या सात में भर्ती बिटिया अपने बिलखते पापा के आंसू पोंछते हुए बार बार कहती है कि आप चिंता मत करो। एक दिन मुझे फिर से खड़ा होना है। पहाड़ सी पीड़ा झेलने वाली यह छात्रा अपने दुख को भूल बार बार डॉक्टरों से कहती है कि उसके पिता तो ठीक हैं। उन्हें मेरे बारे में ज्यादा मत बताना वरना वह टूट जाएंगे। मुझे बहुत प्यार करते हैं मेरे पापा।
15 अक्तूबर को हाथरस के जंक्शन थाना क्षेत्र के गांव सिकंदरपुर निवासी रमेश चंद्र की बेटी फूलमाला दादरी से रेलवे सुरक्षा बल में सिपाही भर्ती की शारीरिक दक्षता परीक्षा देकर अपने पिता के साथ ट्रेन से वापस लौट रही थी। महरावल स्टेशन के पास बेचैनी महसूस होने पर फूलमाला अपने पिता के साथ दरवाजे पर आ गई। अचानक झटका लगने पर वह ट्रेन से गिर गई। बेटी के गिरते ही पिता ने भी छलांग लगा दी। फूलमाला का एक पैर तो कटकर अलग हो गया था जबकि दूसरे पैर का आधा पंजा कट गया था।
जेएन मेडिकल कालेज के वार्ड 7 में बेड 744 पर फूलमाला भर्ती है। लेकिन यहां भी उसे खुद से ज्यादा अपने पिता की चिंता रही। चिकित्सकों से बार बार पूछती रही कि उसके पिता तो अब ठीक हैं। रमेश चंद्र भी बेटी की हालत देख अपने आंसुओं को रोक नहीं पा रहे थे। जबकि बेटी अपनी पीड़ा को भूलकर पिता को हिम्मत बंधा रही थी। चिकित्सकों ने बताया कि ऐसा लगता है कि उसे खुद की तो कोई चिंता ही नहीं है। वह अपने पिता के बारे में ही पूछे जा रही है।

