स्वाइन फ्लू और कोविड-19 महामारी के बाद भविष्य में आने वाली संभावित महामारियों से निपटने के लिए अब एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज में दवा और वैक्सीन की खोज शुरू की जाएगी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कम्युनिटी मेडिसिन विभाग में यूनिटी स्टडी प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसके साथ ही मेडिकल कॉलेज को डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के यूनिटी स्टडी नेटवर्क और ग्लोबल इन्फ्लुएंजा सर्विलांस एंड रिस्पांस सिस्टम के रणनीतिक शोध केंद्र के रूप में मान्यता मिली है। इस उपलब्धि के बाद एएमयू वैश्विक स्वास्थ्य अनुसंधान नेटवर्क से औपचारिक रूप से जुड़ गया है।
डब्ल्यूएचओ का ‘यूनिटी प्लेटफॉर्म’ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वित एपिडेमियोलॉजिकल प्रोटोकॉल पर आधारित है, जिसका उद्देश्य संक्रमण के प्रसार को समझना, रोग की गंभीरता का आकलन करना, जनसंख्या में प्रतिरक्षा स्तर की निगरानी करना और उभरते स्वास्थ्य खतरों की पहचान करना है। यह पहल 2009 के एच-1 एन-1 (स्वाइन फ्लू) महामारी के बाद शुरू हुई थी, जिसे कोविड-19 के दौरान और विस्तारित किया गया। परियोजना के प्रमुख डॉ. मोहम्मद सलमान शाह ने बताया कि इस मान्यता के बाद एएमयू वैश्विक महामारी अनुसंधान में सार्थक योगदान दे सकेगा। अनुसंधान टीम में प्रो. फातिमा खान, डॉ. शहजाद अनवर और डॉ. शफकत तसनीम शामिल हैं।
डब्ल्यूएचओ इंडिया के नेशनल प्रोफेशनल ऑफिसर (रिसर्च) डॉ. मोहम्मद अहमद ने एएमयू की शोध उत्कृष्टता की सराहना की। उन्होंने कहा कि यूनिटी स्टडी के जरिये श्वसन संक्रमणों पर महत्वपूर्ण डेटा उपलब्ध होगा, जिससे वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रयास और मजबूत होंगे। फैकल्टी ऑफ मेडिसिन के डीन प्रो. मोहम्मद खालिद ने इसे मेडिकल कॉलेज के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। वरिष्ठ प्रोफेसर मोहम्मद अथर अंसारी एवं प्रो. उज्मा इरम ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

