मेघालय अपनी रहस्यमयी और मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। चेरापूंजी, मावलिननॉन्ग, डॉकी, नोंग्रियाट और शिलॉन्ग जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के बाद अब मेघालय का एक और अनछुआ गांव सैलानियों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। हम बात कर रहे हैं कुडेंग्रिम गांव की, जो पश्चिम जयंतिया हिल्स के अमलारेम उप-मंडल में स्थित है और शिलॉन्ग से लगभग तीन घंटे की दूरी पर है।
कुछ वर्ष पहले तक कुडेंग्रिम मेघालय के सबसे कम खोजे गए स्थानों में शामिल था। यहां मुख्य रूप से आसपास के गांवों और शिलॉन्ग के स्थानीय लोग ही पहुंचते थे। लेकिन गांव के मुखिया मोंड्यू पोहताम हायोंग और ग्रामीणों के संयुक्त प्रयासों से आज कुडेंग्रिम धीरे-धीरे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर अपनी पहचान बना रहा है। अब यहां देश-विदेश से पर्यटक पहुंचने लगे हैं।
प्रकृति का अनमोल तोहफा है कुडेंग्रिम
मदर नेचर ने कुडेंग्रिम को झरनों, जीवित जड़ पुलों, प्राकृतिक स्विमिंग पूल, घने जंगलों और दुर्लभ जैव-विविधता से नवाजा है। यह गांव मानो प्राकृतिक सौंदर्य का एक ऐसा उपहार है, जिसके भीतर अनगिनत आश्चर्य छिपे हैं।
लिविंग रूट ब्रिज: प्राचीन जैव-इंजीनियरिंग का अद्भुत उदाहरण
कुडेंग्रिम के जीवित जड़ पुल खासी जनजाति की प्राचीन जैव-इंजीनियरिंग कला का जीवंत प्रमाण हैं। रबर के पेड़ों की जड़ों और सुपारी के तनों से बने ये पुल समय के साथ और मजबूत होते जाते हैं।
अमलामार डबल डेकर लिविंग रूट ब्रिज
करीब 200 वर्ष पुराना यह पुल मेघालय का एकमात्र ऐसा लिविंग रूट ब्रिज है, जिसमें मेहराबदार सुरंगनुमा प्रवेश द्वार है। स्थानीय भाषा में इसे लेऊ च्राई अमलामार कहा जाता है। यह जयंतिया हिल्स का इकलौता डबल डेकर रूट ब्रिज है, जिसका ऊपरी हिस्सा वर्तमान पीढ़ी ने तैयार किया है।
अमख्शार लिविंग रूट ब्रिज
लगभग 400 वर्ष पुराना यह सिंगल डेकर ब्रिज 118 फीट लंबा और 72 फीट ऊंचा है। जयंतियापुर के राजाओं के समय में इस पुल का उपयोग डॉकी और सिलहट तक व्यापार के लिए किया जाता था।
अन्य दो लिविंग रूट ब्रिज—अमच्राई और अमसोहलाशन—अब भी पर्यटकों के लिए पूरी तरह खोले नहीं गए हैं।
झरने और प्राकृतिक स्विमिंग पूल
कुडेंग्रिम दूधिया सफेद तेज धार वाले झरनों का खजाना है।
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रबांगपोहमलोंग झरना: अमलामार नदी से निकलता यह झरना ऊंचाई से पूरे वेग के साथ गिरता है। बिना कील के बनी बांस की सीढ़ी ग्रामीणों की इंजीनियरिंग दक्षता दिखाती है।
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मुख्रे मल्टी-टियर झरना: एक के बाद एक गिरते झरनों की श्रृंखला और साफ पानी का प्राकृतिक पूल सैलानियों को आकर्षित करता है।
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सोहरान झरना और सुई सोहरान पूल: अमख्शार नदी पर स्थित यह स्थान प्राकृतिक स्नान के लिए प्रसिद्ध है।
इसके अलावा रबांग र्वेट और मायर्निक सीढ़ीनुमा झरने भी यहां की छिपी हुई धरोहर हैं।
पवित्र वन, फिश सैंक्चुअरी और अनूठी परंपराएं
कुडेंग्रिम में पांच पवित्र वन हैं, जहां पेड़ काटना, पत्ते तोड़ना या किसी भी प्रकार की गंदगी फैलाना सख्त मना है। ये वन औषधीय पौधों, जंगली ऑर्किड और दुर्लभ जीव-जंतुओं का घर हैं।
यहां स्थित फिश सैंक्चुअरी (खा सॉ) में मछली पकड़ना प्रतिबंधित है, हालांकि बीमारी, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष अनुमति दी जाती है। ग्रामीणों का मानना है कि ये मछलियां स्वास्थ्य लाभ देती हैं।
अनुशासन, स्वच्छता और अतिथि-सत्कार की मिसाल
वार जयंतिया समुदाय के लोग इस गांव के मूल निवासी हैं। गांव पूरी तरह स्वच्छ है, कचरा फैलाने पर प्रतिबंध है और हर जगह बांस के डस्टबिन लगाए गए हैं। पशु प्रजनन काल में शिकार नहीं किया जाता, जिससे जैव संतुलन बना रहे।
ग्रामीणों का विश्वास है कि उनके आराध्य देव प्राई थोक टेकुर गांव की रक्षा करते हैं। स्थानीय किंवदंतियां इस आस्था को और मजबूत करती हैं।
पर्यटकों के लिए ठहरने की सुविधा
गांव में स्थित अमशलई कॉटेज से बांग्लादेश, श्नोंगपडेंग और आसपास के झरनों का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है। स्थानीय गाइड के साथ घूमना यहां के हर छिपे खजाने को देखने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है।
कुडेंग्रिम के पास क्रांग शुरी झरना, डॉकी, श्नोंगपडेंग और दर्रांग जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल भी स्थित हैं।
कुडेंग्रिम उन यात्रियों के लिए एक आदर्श स्थान है, जो भीड़ से दूर प्रकृति के सान्निध्य में ‘मी टाइम’ बिताना चाहते हैं।

