हड्डी और रीढ़ (स्पाइन) से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए अच्छी खबर है। आईआईटी कानपुर और डिकुल एएम प्राइवेट लिमिटेड की साझेदारी से मरीज की शारीरिक बनावट के अनुसार 3डी-प्रिंटेड इम्प्लांट विकसित किए जाएंगे, जिससे सर्जरी अधिक सटीक, सुरक्षित और किफायती होगी। इस परियोजना का नेतृत्व आईआईटी के जैविक विज्ञान एवं जैव अभियांत्रिकी विभाग (बीएसबीई) के प्रो. अशोक कुमार और उनकी टीम करेंगे। वर्धा स्थित दत्ता मेघे इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च इस साझेदारी में क्लीनिकल सहयोगी के रूप में शामिल होगा।
प्रारंभिक क्लीनिकल ट्रायल्स में मदद करेगा। प्रो. अशोक कुमार ने बताया कि यह पहल गंगवाल स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी की प्रमुख परियोजना है, जिसके वर्तमान प्रमुख प्रो. संदीप वर्मा हैं। प्रो. कुमार और प्रो. वर्मा ने कहा कि इस तरह के अकादमिक–उद्योग–क्लीनिकल सहयोग से भारत की वैश्विक चिकित्सा इम्प्लांट्स बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ेगी। इस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ आम मरीज को मिलेगा। अभी तक सर्जरी में सामान्य डिजाइन वाले इम्प्लांट लगाए जाते थे, जो हर मरीज की शारीरिक बनावट के अनुसार पूरी तरह फिट नहीं होते थे।

