मथुरा के थाना चौमुहां के गांव नगला नेता में वर्तमान प्रधान योगेश सिंह और उदयवीर सिंह के घर आमने-सामने हैं। उदयवीर सिंह के परिजन ने बताया कि पिछले प्रधानी के चुनाव में उन्होंने प्रधान के विपक्ष में खड़े उम्मीदवार का समर्थन किया था। तभी से दोनों परिवारों के बीच रंजिश चली आ रही है। अब फिर से पंचायत चुनाव का बिगुल बज गया है। शुक्रवार की शाम को प्रधान पक्ष के लोगों ने उदयवीर के बेटे राधाकिशन को राल चौराहे पर घेरकर पीटा था। वह किसी तरह जान बचाकर भाग आया था। इस मामले में पीड़ि़त पक्ष ने रविवार को थाना जैंत में प्रधान पक्ष के विरुद्ध तहरीर दी थी।
इसके बाद दोनों पक्षों में तनातनी बढ़ गई। आरोप है कि पुलिस में शिकायत के बाद रविवार शाम करीब साढ़े छह बजे प्रधान पक्ष के लोगों ने उदयवीर के घर पर हमला बोल दिया। लाठी, डंडों से पिटाई करने के बाद ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। फायरिंग में घर पर खड़े राधाकिशन (20) के सिर में गोली लग गई, जबकि उनके भाई अनिल (23) के हाथ में गोली लगी। गोलियां चलने पर गांव में अफरा तफरी मच गई। दोनों भाइयों के लहूलुहान होकर जमीन पर गिरने के बाद हमलावर भाग निकले। घटना की सूचना मिलने पर एसपी राजीव कुमार सिंह कई थानों के फोर्स के साथ गांव पहुंचे।
पुलिस ने दोनों घायल भाइयों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां कुछ ही देर बाद राधाकिशन ने दम तोड़ दिया। घटना से गांव में तनाव के हालात हैं। पुलिस ने प्रधान पक्ष के चार लोगों को हिरासत में ले लिया। उधर, घटना के संबंध में ग्राम प्रधान योगेश, उसके भाई नरेश व भतीजों अमित, दिनेश सहित अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। एसपी सिटी राजीव कुमार सिंह ने बताया कि चुनावी रंजिश में गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हुई है। पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया है। पुलिस बल तैनात किया गया है।
सुनवाई करती पुलिस तो नहीं होती हत्या
मथुरा। मृतक राधाकिशन के परिवारीजन का रो-रोकर बुरा हाल है। पिता उदयवीर सिंह ने बताया कि प्रधान पक्ष के लोगों ने शनिवार शाम को पीटा। थाने में शिकायत की गई मगर प्रधान के दबाव के कारण पुलिस ने गांव में आकर जांच करना तक उचित नहीं समझा। अगर सुबह ही पुलिस गांव पहुंचकर जांच करती तो शायद प्रधान पक्ष के लोग हमला नहीं करते, लेकिन पुुलिस नहीं आई। इसके पहले रक्षाबंधन के दिन भी प्रधान पक्ष ने मारपीट की थी। थाने में सुनवाई नहीं की गई, उनकी रिपोर्ट दर्ज हो जाती तो प्रधान पक्ष का दुस्साहस नहीं बढ़ता। पुलिस अधिकारियों को भी शिकायत की गई थी। अगर पुलिस निष्पक्ष तरीके से सुनवाई करती तो बेटे की जान नहीं जाती।

