सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पुलिस अभिरक्षा में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या पर कहा कि यूपी में यूपी में अपराध की पराकाष्ठा हो गई है और अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। जब पुलिस के सुरक्षा घेरे के सरेआम गोलीबारी करके किसी की हत्या की जा सकती है तो आम जनता की सुरक्षा का क्या। इससे जनता के बीच भय का वातावरण बन रहा है, ऐसा लगता है कुछ लोग जानबूझकर ऐसा वातावरण बना रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट तक पुलिस को देना पड़ सकता है जवाब
माफिया अतीक अहमद की हत्या का प्रदेश पुलिस को सुप्रीम कोर्ट के सामने जवाब देना पड़ सकता है। अतीक को देवरिया जेलकांड में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गुजरात की साबरमती जेल भेजा गया था। इस आदेश का इतना प्रभाव था कि पहली बार उमेश पाल अपहरण केस में कुछ दिन पहले पेशी पर प्रयागराज लाए गए अतीक को चार घंटे तक नैनी जेल के बाहर रखने के बाद वापस साबरमती जेल रवाना कर दिया गया था।
हाल ही में बी वारंट पर प्रयागराज लाने के लिए भी पुलिस ने अदालत को अतीक की पूरी सुरक्षा करने का आश्वासन दिया था। अदालत ने भी अतीक को प्रयागराज लाने के दौरान सुरक्षा के दृष्टिगत कई अहम दिशा-निर्देश दिए थे। इनमें पुलिस वैन में डिजिटल लॉक का इंतजाम होने, पुलिसकर्मियों के बॉडी वार्न कैमरा धारण करने समेत कई तरीके बताए गए थे। अतीक की वैन में मौजूद पुलिसकमियों के बॉडी वॉर्न कैमरा की लाइव फीड प्रयागराज के पुलिस कंट्रोल रूम को भेजी जा रही थी। सुरक्षा के दृष्टिगत 50 पुलिसकर्मियों को भेजा गया था।
अतीक की हत्या से बेखबर रहा लखनऊ जेल में बंद उमर
राजधानी लखनऊ की जेल में बंद माफिया अतीक अहमद का बेटा मो. उमर अपने पिता और चचा (अशरफ) की हत्या से बेखबर रहा। दरअसल, जिस समय अतीक व अशरफ की हत्या हुई उस समय जेल बंद हो चुकी थी। सभी बंदी अपने बैरकों में चले गए थे। इसलिए उसे वारदात की जानकारी नहीं हो सकी। हालांकि जेल प्रशासन ने हाई सिक्योरिटी में बंद उमर की बैरक की सुरक्षा बढ़ा दी है। सुरक्षा में लगे जेलकर्मियों के साथ ही सीसीटीवी के जरिए लगातार उसकी निगरानी की जा रही है।