मिलावटखोरी पर प्रहार: जांच टीम और निरीक्षक की मिलीभगत रोकेगा कोड, सैंपल बदलने से लेकर खराब करने तक चलता था खेल

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मिलावटखोरी पर प्रहार: जांच टीम और निरीक्षक की मिलीभगत रोकेगा कोड, सैंपल बदलने से लेकर खराब करने तक चलता था खेल

उत्तर प्रदेश में मिलावटखोरी रोकने की नई रणनीति अपनाई गई है। अब सैंपल जांच में लगी एफएसडीए (खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन) लैब की टीम और सैंपल भेजने वाली टीम की मिलीभगत खत्म हो जाएगी। इसके लिए सभी सैंपलों पर क्यूआर कोड की व्यवस्था लागू की गई है। इस नई व्यवस्था से विभाग में हलचल मची है।

प्रदेश के विभिन्न जिलों से खाद्य पदार्थों एवं दवाओं के सैंपल जांच के लिए लैब में भेजे जाते हैं। एफएसडीए को शिकायत मिल रही थी कि कई बार कंपनियों की ओर से खाद्य सुरक्षा अधिकारियों अथवा जांच में लगी अन्य टीम पर दबाव बनाया जाता है। कई बार सैंपल जांच में लगी और सैंपल भेजने वाली टीम के बीच मिलीभगत की शिकायतें भी मिलीं। इसे देखते हुए अब लैब में क्यूआर कोड तैयार करने वाली मशीन लगाई गई है।

सैंपल को लैब में भेजने से पहले उस पर क्यूआर कोड लगाए जा रहे हैं। इससे जांच करने वाली टीम को पता नहीं चलता है कि उसे किस जिले का सैंपल दिया गया है। एफएसडीए की लखनऊ स्थित लैब में इसकी शुरूआत हो गई है। ट्रायल सफल रहने के बाद जून से शत प्रतिशत सैंपल को क्यूआर कोड आधारित कर दिया गया है। जल्द ही प्रदेश की अन्य लैब में भी इस नई व्यवस्था को लागू किया जाएगा।

सैंपल बदलने से लेकर खराब करने तक का चलता था खेल विभागीय सूत्रों का कहना है कि किसी दुकान से सैंपल भरने के बाद उसे बदलने से लेकर खराब करने तक का खेल चलता था। इस पूरे खेल में जिलों में कार्यरत कर्मचारियों से लेकर लैबकर्मी तक शामिल होते थे। कई बार सैंपल जांच से पहले ही खराब हो जाते थे। इतना ही नहीं कई बार नामचीन कंपनियां अपनी ताकत का इस्तेमाल कर सैंपल बदलवा देती थीं। अब क्यूआर कोड की व्यवस्था लागू होने के बाद सैंपल खराब होने की दर एक फीसदी से भी कम हो गई है। पहले यह 10 से 20 फीसदी तक थी।

कैसे कार्य कर रहा है नया सिस्टम उदाहरण के लिए हमीरपुर से हल्दी पाउडर का सैंपल भरा गया। इस सैंपल के आने पर उस पर नया क्यूआर कोड लगा दिया जाता है। फिर एक ट्रे में सभी जिलों के सिर्फ हल्दी के ही सैंपल रखे जाएंगे। माइक्रोबायोलॉजिस्ट व जांच में लगी अन्य टीम को सिर्फ कोड की जानकारी दी जाती है। उसे यह नहीं पता चलता कि संबंधित सैंपल किस जिले से आया है।

कोड तभी खुलता है, जब सैंपल जांच मशीन में लगता है। कोड आधारित जांच रिपोर्ट आएगी। फिर उस कोड के आधार पर पहले से सैंपल पर दर्ज कोड से मिलान करके रिपोर्ट बनाई जाती है। कोड की निगरानी खुद खाद्य सुरक्षा आयुक्त की टीम करती है। इतना ही नहीं इस टीम के सदस्यों को हर माह बदल दिया जाता है।

लैब में भी इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग राजेश कुमार ने बताया कि खाद्य पदार्थों के सैंपल जांच को लेकर कई बार संदेह जताया जाता है। अब इस संदेह को खत्म कर दिया गया है। सैंपल भरने के बाद उसकी रिपोर्ट में किसी तरह का बदलाव नहीं हो सकेगा। इसके लिए क्यूआर कोड आधारित व्यवस्था लागू की गई है। जल्द ही अन्य लैब में भी इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा।

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