केजीएमयू में धर्मांतरण का प्रयास: यौन उत्पीड़न की जांच कर रही समिति में कोई महिला नहीं, एनएमओ ने उठाए सवाल

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केजीएमयू में धर्मांतरण का प्रयास: यौन उत्पीड़न की जांच कर रही समिति में कोई महिला नहीं, एनएमओ ने उठाए सवाल

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में महिला के धर्मांतरण के प्रयास मामले में बनी जांच समिति पर सवाल खड़े किए गए हैं। नेशनल मेडिकल ऑर्गेनाइजेशन (एनएमओ) ने जांच समिति में किसी महिला को शामिल न करने पर आपत्ति जताई है। एनएमओ के महानगर संयोजक डॉ. शिवम कृष्णन ने आरोप लगाया कि जांच के नाम पर खानापूरी की तैयारी है। आरोप है कि समिति को धर्मांतरण के साथ ही यौन उत्पीड़न मामले की जांच करनी है, लेकिन इसमें एक भी महिला नहीं है।

केजीएमयू प्रशासन ने इस मामले में बृहस्पतिवार को पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी। इसमें रेस्पिरेटरी मेडिसिन, गैस्ट्रो मेडिसिन विभाग के चिकित्सक और एक सर्जन शामिल हैं। इनके पास इलाज का तो अनुभव है, लेकिन इस तरह के संवेदनशील प्रकरण की जांच का कोई अनुभव नहीं है। ऐसे में जांच भटक सकती है।

एनएमओ ने इसके साथ ही समिति के सभी सदस्यों के केजीएमयू में अहम पदों पर होने को लेकर भी सवाल उठाया है। इससे जांच प्रभावित हो सकती है। केजीएमयू प्रशासन के अधिकारी होने से छात्र और कर्मचारी कभी भी स्वतंत्र रूप से अपना बयान नहीं दे पाएंगे। ऐसे में प्रदेश सरकार को एटीएस या एसटीएफ से इस संवेदनशील मामले की जांच करानी चाहिए।

एनएमओ ने उठाए ये सवाल

– महिला रेजिडेंट के धर्म परिवर्तन के प्रयास और यौन शोषण का मामला होने के बावजूद समिति में कोई महिला क्यों नहीं है।

– समिति के सदस्य केजीएमयू प्रशासन के जिम्मेदार हैं, ऐसे में संस्थान की छवि को देखते हुए जांच को प्रभावित कर सकते हैं।

– यौन शोषण और धर्मांतरण दोनों आपराधिक मामले हैं, न कि चिकित्सीय। ऐसे में समिति जांच कैसे करेगी।

– केजीएमयू प्रशासन के अधिकारियों के सामने खुलकर अपने बयान नहीं दे पाएंगे।

– केजीएमयू प्रशासन को मामले की जांच कराने के लिए प्रदेश सरकार को पत्र भेजना चाहिए।

एनएमओ और मेडिकल छात्रों ने निकाला कैंडल मार्च

धर्मांतरण के प्रयास मामले में शनिवार को 1090 चौराहे के पास शाम को बड़ी संख्या में एनएमओ के पदाधिकारी व मेडिकल छात्रों ने कैंडल मार्च निकाला। प्रदर्शन में शामिल डॉ. अभिषेक पांडेय के मुताबिक, केजीएमयू का दुनिया भर में नाम है। इस तरह की घटनाओं से संस्थान की साख को धक्का लगा है। इस घटना में शामिल लोगों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। डॉ. ताविषि मिश्रा के मुताबिक, पूरी घटना में केजीएमयू प्रशासन की लापरवाही उजागर हो रही है। एक महिला के लिए कमेटी गठित की गई और उसमें कोई महिला ही नहीं है। यह संवेदनहीनता है। यह सिर्फ डॉक्टर ही नहीं, बल्कि इंसानियत और न्याय की बात है। इसी मामले में नेशनल मेडिकल ऑर्गेनाइजेशन व आम नागरिक के बैनर तले विभिन्न अस्पताल के चिकित्सकों , मेडिकल छात्रों अधिवक्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और एसिड पीड़िताओं ने प्रदेश भर में कैंडल मार्च निकाला।

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