कोरोना वायरस की दस्तक एक बार फिर से जिले में हो गई है। मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हालांकि, इस बार मिले मरीजों में वायरस का कौन सा स्वरूप संक्रमण फैला रहा है, इसकी जानकारी अब तक नहीं हो पाई है। लेकिन पिछले दिनों मिले मरीजों में छह वैरिएंट की पुष्टि हो चुकी है। इनमें कई सब वैरिएंट भी शामिल हैं, जो लोगों की मौत का कारण भी बने हैं
70 से 80 प्रतिशत वैक्सीन नहीं दे पा रही सुरक्षा
वैक्सीन 70 से 80 प्रतिशत शरीर को सुरक्षित नहीं कर पा रही है। क्योंकि, जब वैक्सीन बनाई गई थी तो उस समय पुराने स्ट्रेन का प्रभाव देश और दुनिया में था। उसी स्ट्रेन के अनुसार वैक्सीन बनाई गई, लेकिन समय बीतने के साथ वायरस की संरचना में बदलाव हुआ तो वैक्सीन का असर भी कम हो गया।
डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि पहली लहर में कोरोना वायरस का अल्फा वैरिएंट मिला था। इस लहर में कम मौतें हुई थी। लेकिन, जब दूसरी लहर आई तो डेल्टा, बीटा और ओमिक्रॉन मिला। इसमें डेल्टा और ओमिक्रॉन ने जबरदस्त तबाही मचाई थी। 60 फीसदी मौतें जिले में ओमिक्राॅन और 40 फीसदी में डेल्टा, बीटा और गामा से मौत हुई थी। इसी वैरिएंट ने पूरी दुनिया में तबाही मचाई थी।
ओमिक्रॉन का सब वैरिएंट बी-6 मिल रहा इस वक्त
इस वक्त देश भर में ओमिक्राॅन का सब वैरिएंट बी-6 मिल रहा है। यह वैरिएंट अब तक इतना खतरनाक नहीं साबित हुआ है, जितना अब तक ओमिक्रॉन के अन्य सब वैरिएंट रहे हैं। इससे पहले ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट बी-1.1 मिला था, जो ज्यादा खतरनाक था। यह दूसरी लहर में सबसे अधिक लोगों में मिला था।