हमीरपुर जिले के सदर तहसील में खेत पैमाइश के नाम पर रिश्वत लेते पकड़ा गया लेखपाल छत्रपाल सिंह तो भ्रष्टाचार की मात्र एक बानगी है। यदि गौर करें, तो तहसीलों में कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक भ्रष्टाचार में लिप्त है। यहां काम के हिसाब से सुविधा शुल्क नियत है।
इसे न देने पर जरूरतमंदों को तहसीलों के महीनों चक्कर काटने पड़ते है। केंद्र व राज्य सरकार भ्रष्टाचार को समाप्त करने को भले ही भ्रष्टाचारियों के खिलाफ मिशन मोड में कार्रवाई जारी रहने की बात कह रही है। लेकिन जिले व तहसीलों में तैनात अधिकारियों कर्मचारियों पर इसका खौफ नहीं दिख रहा।
यहीं कारण है कि बिना सुविधा शुल्क दिए लोगों के काम पूरे नहीं होते। इसका उदाहरण बुधवार को सदर तहसील में एंटी करप्शन द्वारा लेखपाल के पकड़े जाने पर देखने को मिला। जो किसान की जायज मांग पूरी करने को पांच हजार रुपये की मांग कर रहा था।