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झाँसी में पंचकल्याणक के तीसरे दिन मनाया गया भगवान का जन्म उत्सव
आज जन्म-कल्याणक के अवसर पर प्रातः काल में भगवान सुनि-सुव्रत नाथ के जन्म के अवसर पर भगवान के जन्म-कल्याणक की भव्यशोभा यात्रा निकाली गई।

आज जन्म-कल्याणक के अवसर पर प्रातः काल में भगवान सुनि-सुव्रत नाथ के जन्म के अवसर पर भगवान के जन्म-कल्याणक की भव्यशोभा यात्रा निकाली गई।भव्य जुलूस आयोजन स्थल से प्रारंभ होकर नगर के विभिन्न मार्गों से होता हुआ-सु-विशुद्ध नसिया, महावीर पार्क पहुँचा।जहाँ बालक तीर्थंकर का पाण्डुक शिला पर अभिषेक सम्पन्न हुआ। वही मुनिश्री सुप्रभ-सागर ने खेर इंटर कालेज बालिका विभाग में बनी धर्म की नगरी अयोध्या में चल रहे अवसर पर कहा कि संसार में सबसे अधिक पुण्यात्मा जीव यदि कोई होता है तो वह तीर्थकर भगवान ही होते हैं,क्योंकि वो अपने पुण्य को पुण्य में लगाकर भव से भवा-तील होने का पुरुषार्थ करते हैं और जो जीव जन्म मरण से अतीत होने का पुरुषार्थ करते हैंउनका जन्मदिन जन्म-कल्याणक के रूप में मनाया जाता है।तीर्थंकर भगवान इतने पुण्यात्मा होते हैं कि उनके गर्भ में आने के छह माह पूर्व से ही माता-पिता के आंगन में रत्नवृष्टि प्रारंभ हो जाती है।जिनके जन्म के अवसर पर इन्द्र भी अपने पूरे परिकर के साथ भगवान का जन्म-कल्याणक मनाने के लिए इस मध्यलोक में आते हैं।व्यक्ति को अपने राग-द्वेष रूप परिणाम के प्रदूषण को दूर करते हुए आत्म विशुद्धि को प्राप्त करने का पुरुषार्थ करना चाहिये यही सम्पूर्ण जीवन का सार है।