
लखनऊ अपनी शानो-शौकत…..तमीज और तहजीब के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है……आज हम आपको लखनऊ में स्थित हनुमान सेतु मंदिर ले चलेंगे, जहां पर अगर आप दर्शन करने नहीं जा पाते हैं, तो पत्र भेजकर अपनी मनेकामनाएं पूरी कर सकते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं इस मंदिर के बारे में।
लखनऊ में गोमती नदी के किनारे स्थित हनुमान सेतु मंदिर दिखने में बेहद ही खूबसूरत है। इस मंदिर में जो भी दर्शन करने आता है वह कभी खाली हाथ वापस नहीं गया है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। यह मंदिर नीम करौरी बाबा ने बनवाया है। बाबा नीम करोरी एक महान संत थे जो साक्षात् हनुमान जी के अवतार थे। हनुमान जी की कृपा से उन्होंने भक्तो पर अपनी कृपा का चमत्कार भी दिखाया।
हनुमान सेतु मंदिर में बड़े मंगल पर हजारों पत्र आते है, जो हनुमान जी के चढ़ाने के बाद भूमि विसिर्जित कर दिए जाते हैं। आपको बता दें कि गोमती पुल बनने और हनुमान सेतु मन्दिर की स्थापना से कुछ वषों पहले गोमती का जल स्तर बढ़ने के कारण हर साल खतरा बना रहता था।1960 में बाढ़ के बाद बाबा की तपोस्थली और पुराने मन्दिर के पास रहने वालों से स्थान छोड़ने के लिए कहा गया। जिसके बाद सभी ने जमीन खाली कर दी। लेकिन बाबा नीब करौरी नहीं गए। वहीं कुछ समय बाद सरकार ने पुल का निर्माण शुरू कर दिया था और यह कार्य कोलकाता के एक बिल्डर को मिला था।
स्थानीय लोगों का कहना हैं कि बाबा की अनुमति लिए बगैर यह पुल बन रहा था, इसलिए पुल बनने में बाधाएं आने लगी थी। उस दौरान बिल्डर काफी परेशान होने लगे और उसके बाद बाद लोगों की राय पर बिल्डर बाबा के चरणों में गिर पड़ा और नीम करोली बाबा से उपाय पूछा, तो बाबा ने बिल्डर को कहा कि पहले वहां हनुमान जी का मन्दिर बनाओ। इसके बाद बिल्डर ने बाबा की बात सुनी। इस दौरान एक तरफ मन्दिर निर्माण, तो दूसरी तरफ पुल का निर्माण बिना किसी बाधा के तैयार होने लगा। बता दें कि 26 जनवरी 1967 को हनुमान सेतु मन्दिर का शुभारम्भ हुआ था।
नीब करौरी बाबा की गिनती 20वीं सदी के महान संतों में की जाती है। उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में बाबा का जन्म हुआ। कहा जाता है कि बाबा नीम करोली को 17 साल की उम्र में ही ईश्वर के बारे में बहुत विशेष ज्ञान हो गया थ। बाबा हनुमान जी को अपना गुरु और आराध्य मानते थे। बाबा ने अपने जीवन में करीब 108 हनुमान मंदिर बनवाए। मान्यता है कि बाबा नीब करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। आम आदमी की तरह जीने वाले बाबा नीम करौली अपना पैर भी छूने नहीं देते थे। ऐसा करने वालों को वे हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे।
इस प्रसिद्ध मंदिर के बारे में ये भी मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।