मूर्ति विसर्जन हादसा: उटंगन नदी में डूबे 13 युवक, एक के बाद एक निकलीं चार लाशें…चीखें चीर रहीं कलेजा

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मूर्ति विसर्जन हादसा: उटंगन नदी में डूबे 13 युवक, एक के बाद एक निकलीं चार लाशें…चीखें चीर रहीं कलेजा

आगरा के खेरागढ़ स्थित उटंगन नदी में मां दुर्गा की मूर्ति विसर्जन करने के दौरान दर्दनाक हादसा हो गया। गांव कुसियापुर डूगरवाला के 13 युवक गहरे पानी में डूब गए। हादसे से अफरा-तफरी मच गई। ग्रामीणों ने कड़ी मशक्कत के बाद एक युवक विष्णु को बचा लिया। डेढ़ घंटे बाद पुलिस की मदद से दो युवकों ओमपाल और गगन के शव निकाले गए, जबकि देर रात एक अन्य किशोर मनोज का शव मिल गया। इसके बाद दो अन्य युवकों की लाशें भी शुक्रवार सुबह बाहर निकाल ली गईं। अब भी आठ का पता नहीं चल सका है। 

खेरागढ़ में मूर्ति विसर्जन करते डूबे एक और युवक भगवती का शव बरामद कर लिया गया। इसे देखकर मृतक परिवार में कोहराम मच गया। उटांगन नदी में विसर्जन करते समय 13 युवक और किशोर डूब गए थे। उन्हें निकालने के लिए रात भर ऑपरेशन चलता रहा। पुलिस और प्रशासन की टीम के साथ एसडीआरफ लगी रही। अब तक चार के शव बरामद कर लिए गए है। 

ग्रामीण घटना स्थल पर मौजूद हैं। रात में गुस्सा आए लोगों ने एसडीएम की गाड़ी को भेज दिया उसके शीशे तोड़ दिया सुबह आप पर पुलिस आयुक्त रामबदन सिंह ने मोर्चा संभाला। लोगों को माइक से अनाउंस कर कहा कि वह संयम  बरतें। पुलिस को अपना काम करने दें। कोई पानी की तरफ ना जाए। जिससे किसी तरह का हादसा हो। उधर रात भर गांव में करुण क्रंदन गूंजता रहा। चूल्हे नहीं जले। अब तक गगन, ओमपाल, मनोज और भगवती के शव मिल चुके हैं।

ये हादसा दोपहर 1 बजे हुआ। खेरागढ़ के गांव कुसियापुर में चामड़ माता के मंदिर के पास नवरात्र में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित की गई थी। दशहरा पर मूर्ति के विसर्जन के लिए गांव के 40-50 पुरुष, महिलाएं और बच्चे उटंगन नदी के पास पहुंचे। इनमें विष्णु (20), ओमपाल (25), गगन (24), हरेश (20), अभिषेक (17), भगवती (22), ओके (16), सचिन पुत्र रामवीर (26), सचिन पुत्र ऊना (17), गजेंद्र (17) और दीपक (15) गहरे पानी में चले गए। 

ग्रामीणों के मुताबिक सभी डूबने लगे। बचाव के साधन नहीं होने की वजह से वह लोग कुछ नहीं कर सके। बाद में कुछ ग्रामीणों ने हिम्मत की और पानी में कूदकर विष्णु को बाहर निकाल लिया। हालत गंभीर होने पर उसे आगरा एसएन मेडिकल काॅलेज की इमरजेंसी रेफर कर दिया गया।

बाकी के डूबने के बाद पुलिस को सूचना दी गई। करीब डेढ़ घंटे बाद ओमपाल और गगन को पानी से निकालकर अस्पताल पहुंचाया गया। चिकित्सकों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया गया। देर रात पुलिस ने  किशोर मनोज का शव भी उटंगन से बाहर निकाल लिया। पूरी रात सर्च जारी रही। शुक्रवार सुबह एनडीआरएफ की टीम ने भगवती पुत्र मुरारी लाल 22 वर्ष का शव रेस्क्यू के दौरान खोज निकाला। अन्य की तलाश में एसडीआरएफ की टीम लगी हुई है। 

हाथ पकड़कर बढ़ रहे थे आगे
गांव कुशियापुर में 4 फुट की दुर्गा प्रतिमा स्थापित करने के बाद हर दिन आस्था का सैलाब उमड़ रहा था। 10 दिन तक सुबह-शाम की आरती के बाद गांव की गलियों में देवी के गीतों से माहाैल भक्तिमय हो जाता था। दशहरा आया तो प्रतिमा विसर्जन के लिए क्या बड़े, क्या छोटे, सब नदी किनारे चल पड़े। मगर हादसे की जानकारी आई तो पूरे गांव में करुण क्रंदन गूंज उठा। 

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उटंगन नदी में कई गड्ढे हैं। विसर्जन के लिए सभी हाथ पकड़कर आगे बढ़ रहे थे। अचानक एक का हाथ फिसला। उसके साथ ही सभी पानी में समा गए। उटंगन नदी में जिस स्थान पर डूबने की घटना हुई, वहां से गांव कुशियापुर तीन किलोमीटर की दूरी पर है। गांव के लोगों ने बताया कि नदी पर आने के बाद मूर्ति को पानी में ले जाना था। इसके लिए 11 से 15 युवक और किशोर तैयार हुए। किनारे के पास पानी काफी कम था। इस कारण अंदर चले गए। बाद में पानी गहरा होने लगा। मगर मूर्ति भी 4 फुट की थी। इस पर बीच पानी में ले जाना चाह रहे थे।

पानी में डूबने से बचने के लिए एक-दूसरे ने अपने हाथ पकड़ रखे थे। एक हाथ से मूर्ति को पकड़ लिया था। किसी को अंदाजा नहीं था कि अंदर गड्ढा बना हुआ है, जिसमें पानी गहरा है। उस गड्ढे में अचानक एक युवक का पैर फिसल गया। उसे बचाने के लिए पीछे वालों ने हाथ पकड़ा। मगर, वह उसे संभाल नहीं सके। एक-एक करके 9 युवक और 5 किशोर पानी में समा गए। दो और युवक गगन और अमित पानी में डूब रहे थे। पीछे की तरफ गांव का भोला भी था। उन्हें देखकर उसने पीछे से हाथ पकड़ लिए। वह तत्काल दोनों को कम पानी की तरफ ले गए। 

किनारे पर खड़े डूबे हुए किशोर और युवकों के परिजन चीखपुकार मचाने लगे। मगर पुलिस नहीं थी। तकरीबन आधा घंटे बाद पुलिसकर्मी पहुंचे। इनमें एसएसआई बिजेंद्र सिंह तैरना जानते थे। उन्होंने पानी में छलांग लगा दी। वह तकरीबन एक घंटे तक तलाश करते रहे। इसके बाद डूबने वाले ओमपाल और गगन को बाहर निकाल लाए। मगर तब तक उनकी मृत्यु हो चुकी थी। अन्य का पता नहीं चल सका। ग्रामीणों का कहना था कि नदी के अंदर गड्ढे का किसी को भी अंदाजा नहीं था। इस वजह से ही हादसा हुआ।

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