
गनीमत यह थी कि उस बच्चे को अपने पिता का फोन नंबर याद था उसके फोन पर उन समाजसेवियों द्वारा फोन लगाकर उसके पिता को घटना की सूचना दी और उसके माता-पिता जिला चिकित्सालय पहुंच गए अपने बच्चों को सुरक्षित पाकर मां-बाप की खुशी के आंसू निकल पड़े और उन्होंने अपने बच्चे से पूरा घटनाक्रम पूछा तब बच्चे ने बताया कि मैं पतंग एवं मांझा देने रेल की पटरी पार कर साइकिल से दूसरे मोहल्ले पहुंच गया जहां पर साइकिल का नियंत्रण खो गया और सड़क किनारे पत्थर पर उसका सर टकरा गया जिससे वह घायल हो गया उन दोनों समाजसेवियों के द्वारा उसे जिला चिकित्सालय लाया गया जहां पर उसका इलाज किया गया इलाज के बाद माता पिता उसको लेकर अपने घर खुशी-खुशी चले गए