कॉल्विन अस्पताल के गेट पर गोलियों से भूने गए अतीक अहमद और अशरफ अपनी आखिरी बात भी पूरी नहीं कर सके। गोली लगने से ठीक पहले मीडियाकर्मी उससे बेटे असद के अंतिम संस्कार में नहीं जाने को लेकर सवाल पूछ रहे थे। अतीक इसका जवाब दे ही रहा था कि तभी उसे मौत के घाट उतार दिया गया।
पुलिस जीप से उतरते ही मीडियाकर्मियों ने उससे पूछा कि बेटे के अंतिम संस्कार में शामिल न हो पाने को लेकर उसका क्या कहना है। इस पर आगे बढ़ते हुए अतीक ने कहा कि नहीं ले गए तो नहीं गए। उसका इशारा पुलिस की ओर था। हालांकि इसके बाद फिर वह कुछ नहीं बोल पाया और शूटरों ने उसे गोलियों से भून दिया।
अशरफ बोला मेन बात यह है कि…
उधर भतीजे असद के अंतिम संस्कार में न शामिल हो पाने को लेकर अशरफ भी कुछ कहना चाहता था। शूटआउट शुरू होने से ठीक पहले उसने इस सवाल का जवाब देना शुरू किया था। कहा कि मेन बात यह है कि…। हालांकि बात पूरी होती, इससे पहले ही उसे मौत के घाट उतार दिया गया।
पिता-चाचा की मौत की खबर पर बिलख पड़े अबान-एहजम
पिता व चाचा की मौत की खबर मिलते ही राजरूपपुर बाल गृह में अतीक के नाबालिग बेटे बिलख पड़े। उमेश पाल हत्याकांड के बाद से ही अतीक के चौथे नंबर का बेटा एहजम और सबसे छोटा बेटा अबान राजरूपपुर बालगृह में निरुद्ध हैं। अतीक और अशरफ की हत्या की जानकारी उन्हें टीवी पर खबर चलने पर हुई। इसके बाद दोनों बिलखने लगे। बाल गृह में निरुद्ध अन्य अंत:वासियों ने किसी तरह उन्हें संभाला लेकिन उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। गौरतलब है कि भाई असद के एनकाउंटर के बाद से वह पहले ही गमगीन चल रहे थे।
उमेश पाल के घर की सुरक्षा बढ़ाई
अतीक व अशरफ की हत्या के बाद जयंतीपुर में उमेशपाल के घर की सुरक्षा बढ़ा दी गई। असद के एनकाउंटर के बाद पहले ही उमेश के घर के बाहर सशस्त्र पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी गई थी। अतीक व अशरफ की हत्या के बाद सुरक्षा में अतिरिक्त जवानों की तैनाती कर दी गई। इसके अलावा धूमनगंज पुलिस को विशेष नजर बनाए रखने के लिए निर्देशित किया गया है।
अतीक परिवार के लिए अशुभ रहा अप्रैल, सब कुछ हुआ खत्म
अतीक अहमद के परिवार के लिए अप्रैल का महीना अशुभ साबित हुआ। इसी महीने में अतीक का वर्चस्व छोड़िये सब कुछ खत्म हो गया। अतीक की हत्या के बाद अब उसके लिए कोई रोने वाला भी नहीं बचा। उसके दोनों बड़े बेटे जेल में है। तीसरे का एनकाउंटर हो गया। दोनों नाबालिग बेटे पुलिस की सुरक्षा में बाल सुधार गृह में हैं। पत्नी फरार है। अशरफ की पत्नी भी आरोपी होकर फरार हो गई थी। जो बहन पैरवी कर रही थी, वह भी फरार है।
24 फरवरी को जब उमेश पाल की हत्या हुई तो किसी ने यह कल्पना भी नहीं की थी कि दो महीने के अंदर ही अतीक का सर्वनाश हो जाएगा। फरवरी और मार्च को किसी तरह कट गया। अप्रैल में अतीक के अंत की शुरूआत हो गई थी। अप्रैल में भी 14 अप्रैल से लेकर 16 अप्रैल की रात तक सब कुछ खत्म हो गया। सबसे पहले अतीक के तीसरे नंबर के बेटे असद का पुलिस ने झांसी में एनकाउंटर कर दिया गया।
इसी दिन अतीक और उसके भाई की कस्टडी रिमांड पुलिस को मिल गई थी। 16 अप्रैल की सुबह असद को सुपुर्दे खाक किया गया लेकिन अतीक और उसके परिवार का कोई भी शख्स जनाजे में नहीं शामिल हो पाया। रात में अतीक और अशरफ की कालविन अस्पताल के कैंपस में हत्या कर दी गई। इससे पहले 28 मार्च को उमेश पाल अपहरणकांड में अतीक और उसके दो गुर्गों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
आज जब अतीक और अशरफ की हत्या हुई तो उसके लिए रोने वाला कोई नहीं दिखा। पत्नी शाइस्ता अभी भी फरार है। दोनों बड़े बेटे जेल में हैं। दोनों छोटोे बेटे बाल सुधार गृह में है। अशरफ की पत्नी जैनब भी आरोपी होकर फरार है। अन्य रिश्तेदारों की भी हिम्मत नहीं पड़ रही थी कि अतीक के शव के पास आकर आंसू बहा दें।