लाइफस्टाइलस्वास्थ्य
मन से स्वस्थ बच्चे ही करेंगे बेहतर भविष्य का निर्माण
बच्चों के मेंटल हेल्थ पर बात करने से पहले यह समझना और स्वीकार करना आवश्यक है कि ''हमारे हेल्थ में मेंटल हेल्थ की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण '' है

अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि अकेले अमेरिका में 20 मिलियन (दो करोड़) से अधिक बच्चे- युवा किसी न किसी प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं। यूएस डिपार्मेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमेन सर्विसेज के मुताबिक 3-17 वर्ष की आयु के 5 में से एक बच्चे में मानसिक, भावनात्मक, व्यवहारिक विकार की समस्या है। इसी तरह भारत और बांग्लादेश में सात में से एक, इथियोपिया और जापान में दस में से एक बच्चा अवसाद का शिकार पाया गया है। ऐसे करीब 21 देशों के आंकड़े बताते हैं कि औसत पांच में से एक बच्चा किसी मानसिक विकार के साथ जी रहा है।
मेंटल हेल्थ, हमारे हेल्थ का अभिन्न अंग
हमारे हेल्थ में मेंटल हेल्थ की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण ” है। यह सिर्फ स्वास्थ्य विशेषज्ञों और विचारकों की चर्चा तक सीमित विषय नहीं हैं, इसको लेकर जनसाधरण की समझ विकसित करने की नितांत आवश्यकता है। इसके लिए दो प्रारंभिक कड़ी हैं, माता-पिता और शिक्षक। वृहद स्तर पर इन दो प्रमुख लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में समझते हुए बच्चों पर इसी नजरिए से ध्यान देने की आवश्यकता है। आमतौर पर हम इस बात को स्वीकार ही नहीं कर पा रहे हैं कि छोटे बच्चे भी अवसाद और चिंता विकारों के शिकार हो सकते हैं, पर आश्चर्यजनक रूप से ओपीडी में यह आंकड़ा काफी बढ़ता देखा जा रहा है।
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बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य में स्कूली शिक्षा की क्या भूमिका हो सकती है?
बच्चों की मनोस्थिति को सबसे बेहतर ढंग से उनके शिक्षक समझ सकते हैं, क्योंकि किसी भी बच्चे के दिन का अधिकांश समय स्कूल और शिक्षकों के साथ ही बीतता है। ऐसे में पहली आवश्यकता है मानसिक स्वास्थ्य को लेकर शिक्षकों के प्रशिक्षण की। ऐसा करके हम प्रारंभिक तौर पर यह समझ सकेगें कि बच्चा असल में कितना स्वस्थ है