
स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों की शरण स्थली रही महाकालेश्वर धाम से 151 फिट तिरंगे के साथ क्रांतिवीरों को सलामी देने बच्चों, युवाओं, महिलाओं, बड़े-बुजुर्गों का हुजूम उमड़ पड़ा। गगनभेदी नारों के साथ यात्रा आगे बढ़ी। मार्च का नेतृत्व चंबल परिवार समन्वयक वीरेन्द्र सिंह सेंगर ने किया। पंचनद संगम तट के नजदीक विशाल जलराशि तक पहुंचकर कारंवा जनसभा में तब्दील हो गया। वीओ – 2 पंचनद दीप पर्व को संबोधित करते हुए इतिहासकार देवेन्द्र सिंह चौहान ने चंबल अंचल के क्रांतियो और जननायकों का जिक्र करते हुए कहा कि अंग्रेजी दासता से मुक्ति की लड़ाई साझा कुर्बानी का संघर्ष रहा है। इस अवसर पर मेजर मनोज कुमार सिंह, पंडित राम लखन, अवधेश सिंह चौहान, राम सुन्दर यादव, समेत कई जन्मांनिय लोग उपस्थित रहे