भारत में बढ़ रहा वेल-बीइंग होम्स का क्रेज! लोग पुराने घर छोड़कर अपना रहे स्मार्ट-सस्टेनेबल लाइफस्टाइल, जानिए क्यों?

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भारत में बढ़ रहा वेल-बीइंग होम्स का क्रेज! लोग पुराने घर छोड़कर अपना रहे स्मार्ट-सस्टेनेबल लाइफस्टाइल, जानिए क्यों?

अगर आप सोचते हैं कि घर सिर्फ रहने की जगह है, तो यह खबर आपकी सोच बदल देगी। भारत में तेजी से वेल-बीइंग होम्स का एक नया ट्रेंड उभर रहा है। ये घर सिर्फ ईंट-सीमेंट का ढांचा नहीं, बल्कि ऐसे स्पेस बनते जा रहे हैं जो आपकी हेल्थ, कम्फर्ट, प्रोडक्टिविटी और माइंडफुलनेस तक को बेहतर बनाते हैं। स्मार्ट टेक्नोलॉजी, सस्टेनेबल डिजाइन और हेल्दी लिविंग के बढ़ते महत्व ने इन घरों को शहरों में नई पहचान दी है। इससे लोग पुराने घर छोड़कर तेजी से फ्यूचर-रेडी वेलनेस होम्स की ओर शिफ्ट हो रहे हैं।

क्यों बढ़ रहा है ‘वेल-बीइंग होम्स’ का ट्रेंड?

बिल्डअहोम के सीईओ अभिजीत आर प्रियन बताते हैं कि कोविड के बाद लोगों की प्रायोरिटी बदल चुकी हैं। अब घर ऐसा चाहिए जो सिर्फ सुंदर नहीं, बल्कि सुरक्षित, हेल्दी, टेक-इनेबल्ड और एनर्जी-इफिशिएंट भी हो। अच्छी एयर क्वालिटी, प्राकृतिक रोशनी, कम ऊर्जा खर्च और स्मार्ट ऑटोमेशन जैसी सुविधाएं नए खरीदारों को सबसे ज्यादा आकर्षित कर रही हैं। डेवलपर्स भी तेजी से इन फीचर्स को अपना रहे हैं ताकि बदलती उम्मीदों को पूरा किया जा सके।

सस्टेनेबल और स्मार्ट दोनों एक साथ वेल-बीइंग होम्स के सबसे बड़े आकर्षण हैं-

एयर-प्यूरीफाइंग प्लांट वॉल्स स्मार्ट लाइटिंग और टेम्परेचर कंट्रोल नॉन-टॉक्सिक बिल्डिंग मटेरियल रेनवॉटर हार्वेस्टिंग व सोलर पावर उपयोग लो-एनर्जी कंजम्प्शन डिजाइन इन खास फीचर्स के कारण ऐसे घर अन्य फ्लैट्स की तुलना में न सिर्फ ज्यादा आरामदायक हैं, बल्कि लंबे समय में खर्च भी कम करवाते हैं।

वर्क-फ्रॉम-होम और लाइफस्टाइल चेंज का असर

इन दिनों बड़े शहरों में वर्क-फ्रॉम-होम और हाइब्रिड वर्क कल्चर ने आधुनिक घरों की मांग को दोगुना कर दिया है। लोग चाहते हैं कि उनके घरों में नॉइज-फ्री वर्कस्पेस, नेचुरल लाइट, बेहतरीन वेंटिलेशन, और स्ट्रेस-फ्री लिविंग का माहौल हो। यही सुविधाएं वेल-बीइंग होम्स को ड्रीम होम बना रही हैं।

डेवलपर्स लगा रहे बड़ा दांव

भारत के रियल एस्टेट मार्केट में मिड सेगमेंट और प्रीमियम सेगमेंट तेजी से वेलनेस-फोकस्ड हो रहा है। डेवलपर्स भी महसूस कर रहे हैं कि भविष्य के खरीदार अब सिर्फ लोकेशन नहीं, बल्कि क्वालिटी ऑफ लाइफ खरीदते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, अगले 3-5 वर्षों में भारत में लॉन्च होने वाली नई हाउसिंग प्रोजेक्ट में से 60% से ज्यादा वेलनेस-सेंट्रिक होंगी। इससे घरों की परिभाषा पूरी तरह बदल रही है।

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