प्रदेश की नवगठित शाहजहांपुर नगर निगम में पहली बार महापौर और पार्षद पद के लिए चुनाव होगा। 17वें नगर निगम में पार्टी को खतरे से पार निकालने के लिए योगी सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद और सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जेपीएस राठौर की साख दांव पर हैं।
शाहजहांपुर नगर पालिका परिषद में बीते चार चुनाव से लगातार समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है। 2017 में सपा की जहांआरा पालिका अध्यक्ष निर्वाचित हुई थीं। लेकिन चुनाव के पांच-छह महीने बाद ही नगर निगम का गठन होने से पालिका बोर्ड भंग कर दिया गया था। उससे पहले तीन बार सपा नेता तनवीर खान पालिका अध्यक्ष रहे हैं।
शाहजहांपुर नगर निगम में महापौर का पद ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है। सपा और भाजपा दोनों ही दलों के पास ओबीसी में कोई बड़ा चर्चित चेहरा महापौर पद के दावेदार के रूप में सामने नहीं आया है। शाहजहांपुर नगर निगम चुनाव में करीब 3.26 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें सर्वाधिक मतदाता मुस्लिम समुदाय से हैं। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब एक लाख है। मुस्लिम के बाद दूसरा सबसे बड़ा वोट बैंक दलित वर्ग का है। दलित वर्ग के भी करीब 70 हजार से अधिक मतदाता हैं। तीसरे स्थान पर वैश्य (गुप्ता ओबीसी) मतदाता हैं। वैश्य समाज के 60 हजार से अधिक मतदाता हैं। ब्राह्मण, ठाकुर, यादव, लोधी समाज के मतदाताओं की संख्या 10 से 25 हजार के बीच आंकी जाती है। ऐसे में परंपरागत वोट बैंक के लिहाज से शाहजहांपुर में सपा और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला होने के आसार हैं।
शाहजहांपुर उन चंद जिलों में से हैं जहां से तीन-तीन मंत्री सरकार में जिले का प्रतिनिधित्व करते हैं। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना खुद कभी चुनाव नहीं हारे हैं, लगातार आठ बार से विधानसभा के सदस्य हैं। प्रदेश सरकार में वित्त एवं ससंदीय कार्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग की कमान उनके पास है। माना जाता है कि शाहजहांपुर में भाजपा की स्थानीय राजनीति में खन्ना की सहमति के बिना कुछ संभव नहीं है।
महापौर के साथ वार्ड में भी बढ़त जरूरी
शाहजहांपुर नगर निगम में वार्ड की संख्या 60 हो गई है। भाजपा के सामने महापौर चुनाव जीतने के साथ वार्डों के चुनाव में भी बहुमत हासिल करना चुनौतीपूर्ण है। जानकार मानते हैं कि चुनाव परिणाम के बाद विश्लेषकों की नजर इस बात पर भी रहेगी कि नगर पालिका को नगर निगम में क्रमोन्नत करना राजनीतिक लाभ के लिहाज से सरकार का उचित निर्णय था या नहीं।