नौतपा शुरू हो चुका है, पर आंधी-बारिश के चलते तपने के बजाय यह ठंडा है। मई तपिश और लू के लिए जानी जाती है लेकिन इस साल इस महीने एक भी दिन लू नहीं चली। यह मानसून के रास्ता भटकने के संकेत तो नहीं? मौसम के रोजाना बदलते तेवर को लेकर मौसम विज्ञानी भी चिंतित हैं।
मौसम का ट्रेंड बदलने में कम से कम 30 साल लगते हैं लेकिन अब तो हर दिन इसके तेवर बदल रहे हैं। मई बीतने को है, पर एक भी दिन लू नहीं चली। बीच के कुछ दिनों को छोड़ दें तो पूरा महीना कभी तेज हवा, कभी आंधी तो कभी बारिश के बीच बीता। फेबियन चक्रवात भी मानसून के रास्ता भटकने का संकेत दे रहा है।
ठंड और पश्चिमी विक्षोभ का हुआ विस्तार
भूमि और समुद्र में लगातार घटते-बढ़ते तापमान के अध्ययन कार्य से जुड़ीं बीएसआईपी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. स्वाति त्रिपाठी कहती हैं कि लखनऊ समेत देश के उत्तरी क्षेत्रों में 2022 की तुलना में इस वर्ष अप्रैल तक ठंडक देखी गई। मई में भी अचानक बारिश जारी है, जो सामान्य नहीं है। सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ ने इस वर्ष विस्तार लिया है और मई में बिन मौसम बारिश का कारण बना है। इसका प्रभाव मध्य भारत तक देखने को मिलेगा। इसके चलते आने वाले दिनों में बारिश से राहत मिलती रहेगी।