पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या के मामले में एक और नया खुलासा हुआ है। माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ की अगुवाई में उमेश की हत्या का खाका बरेली जेल में 11 फरवरी को खींचा गया। असद, गुलाम, गुड्डू मुस्लिम और विजय चौधरी उर्फ उस्मान समेत अन्य गुर्गे जेल में मीटिंग के बाद 12 फरवरी को वापस आए।
शूटरों ने उमेश की हत्या की पहली कोशिश 15 फरवरी और दूसरा प्रयास 21 फरवरी को किया था, लेकिन सफल नहीं हो पाए। 24 फरवरी को उमेश की हत्या कर दी थी। सामने आया है कि 13 फरवरी से रोजाना रेकी हुई थी। तीसरी कोशिश में उमेश को मारा गया।
24 को पहली सूचना शजर ने दी, आखिरी नियाज ने
24 फरवरी को जब उमेश पाल घर से निकला तो उसके पड़ोसी मो. शजर ने असद को पहली सूचना दी कि उमेश घर से निकल गया। उसके साथ दो सिपाही और ड्राइवर भी है। इसके बाद नियाज उसकी गाड़ी के पीछे पीछे लग गया। कचहरी में अरशद कटरा भी उमेश की गतिविधियों पर नजर रखे था। वहां काफी भीड़ थी।
उमेश के साथ अधिवक्ता भी मौजूद थे। वह ज्यादातर समय कोर्ट में ही था। जब शाम को उमेश वापस लौटने लगा तो नियाज ने लगातार सूचना देनी शुरू की। वह किस रास्ते पर है, कब मुड़ा। अब किस चौराहे पर पहुंचा। अंतिम कॉल भी नियाज की थी कि उमेश अब घर पहुंचने वाला है। इसके बाद शूटर अलर्ट हो गए।