चीन और सोलोमन के बीच हुए मिलिट्री समझौते ने कई देशों की चिंता को बढ़ाया
चीन और सोलोमन द्वीप के बीच हुए एक सुरक्षा समझौते से अमेरिका न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया की चिंता को बढ़ा दिया है।

चीन और सोलोमन द्वीप के बीच हुए सुरक्षा समझौते ने कई देशों की चिंता को बढ़ा दिया है। आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अमेरिका इस समझौते पर पहले ही चिंता जता चुके हैं। इन देशों की सबसे बड़ी चिंता है कि इस समझौते ने इस क्षेत्र में चीन के लिए नेवल बेस बनाने की राह खोल दी है। आस्ट्रेलियन ब्राडकास्टिंग कोआपरेशन की खबर में कहा गया है कि चीन के विदेश मंत्रालय वांग वेनबिन ने बीजिंग में इस समझौते की जानकारी देते हुए बताया कि चीन होनियारा के साथ मिलकर लोगों की सुरक्षा के लिए काम करेगा। इसके अलावा वो यहां पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत कार्य में यहां की एजेंसियों के साथ सहयोग करेगा।

आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने इस समझौते पर अपनी चिंता जताते हुए कहा है कि ये इस क्षेत्र में चीन की सैन्य गतिविधियों को बढ़ावा देगा। इसके चलने इंडो पेसेफिक इलाके में अस्थिरता का माहौल पैदा हो सकती है। चीन सोलोमन को अपने एक स्टोपओवर के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है, जो यहां के अन्य देशों के लिए अच्छा नहीं होगा। आस्ट्रेलिया का कहना है कि चीन की मंशा यहां पर अपना नेवल बेस बनाने की है। पिछले सप्ताह अमेरिका ने भी इसी तरह की चिंता इस समझौते को लेकर जताई थी। अमेरिका का कहना था कि इस समझौते ने चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के लिए प्रशांत क्षेत्र में नए द्वार खोल दिए हैं।
पेंटागन प्रवक्ता जान किर्बी ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि अमेरिका मानता है इस समझौते से सोलोमन द्वीप के अंदर भी अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने ये भी कहा कि चीन की मंशा इस द्वीप पर अपना नेवल बेस बनाकर इस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बढ़ाने की है। उन्होंने कहा कि चीन की इस मंशा को लेकर अमेरिका काफी चिंतित है। बता दें कि चीन और सोलोमन द्वीप के बीच ये समझौता ऐसे समय में हुआ है जब व्हाइट हाउस के अधिकारी फिजी, पापुआ न्यूगिनी और प्रशांत क्षेत्र के देशों के दौरे पर जाएंगे। इस दौरे पर जाने वालों में नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के सदस्यों के अलावा विदेश, रक्षा मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल होंगे।