मातृ मृत्यु दर में विकसित और गैर विकसित देशों के बीच क्यों है लंबी खाईं
कई विकसित मुल्कों ने अपने यहां मातृ मृत्यु दर के लक्ष्य को हासिल करने में कामयाबी हासिल की है। आखिर मातृ मृत्यु दर के मामले में विकसित मुल्कों एवं गैर विकसित मुल्कों के बीच यह लंबी खाई क्यों है

वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहे भारत में मातृ मृत्यु दर अब भी बहुत अधिक चिंता का विषय बना हुआ है। उधर, कई विकसित मुल्कों ने अपने यहां मातृ मृत्यु दर के लक्ष्य को हासिल करने में कामयाबी हासिल की है। हालांकि, भारत ने वर्ष 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों में सुधार लाने और विशेषकर मातृ मृत्यु को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाए थे। तब से अब तक भारत सरकार इस दिशा में कई बड़ी पहल कर चुका है। इसके परिणाम भी अब आना शुरू हो चुके हैं। अब देश के कुछ राज्यों में मातृ मृत्यु दर विकसित दुनिया के मुल्कों के समान हो गया है। हालांकि, अभी भी कुछ राज्यों में मातृ मृत्यु दर चिंता का विषय बना हुआ है। आखिर मातृ मृत्यु दर के मामले में विकसित मुल्कों एवं गैर विकसित मुल्कों के बीच यह लंबी खाई क्यों है। इस पर क्या है विशेषज्ञों की राय।
विकसित देशों में बहुत कम है मातृ मृत्यु दर
दुनिया के कई विकसित मुल्कों ने अपने यहां मातृ मृत्यु दर के लक्ष्य को हासिल करने में बड़ी सफलता पाई है। कई विकसित मुल्कों को सिंगल डिजिट तक समेटने में सफलता हालिस कर ली है। इटली, नार्वे, पालैंड और बेलारूस में प्रति हजार गर्भवती महिलाओं में प्रसव के दौरान सिर्फ दो की मौत होती है। वहीं, जर्मनी और ब्रिटेन में यह आंकड़ा सात, कनाडा में 10 और अमेरिका में 19 है। भारत के ज्यादातर पड़ोसी देशों में मातृ मृत्यु दर काफी ऊंचा है। नेपाल में मातृ मृत्यु दर 186, बांग्लादेश में 173 और पाकिस्तान में 140 जबकि चीन और श्रीलंका क्रमशः 18.3 और 36 के साथ हमसे बहुत बेहतर हालात में हैं।

पांच देशों में शिशु मृत्यु दर
1: अमेरिका – 06
2: रूस – 08
3: चीन – 09
4: श्रीलंका – 08
5: ब्राजील – 15
(शिशु मृत्यु दर प्रति हजार)
क्या है विशेषज्ञों की राय
1- डा दीपा (यशोदा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में प्रसूति विज्ञानी एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ)का कहना है कि भारत में कई सुरक्षा कार्यक्रमों को लागू करने के बावजूद भारत संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य से अभी भी बहुत दूर है। उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर मातृ मृत्यु दर 1990 की तुलना कहीं ज्यादा सुधार हुआ है। हालांकि, यह कहा जाना चाहिए कि भारत की स्थिति में भी तेजी से सुधार आया है। अगर आप आंकड़ों पर ध्यान दें तो भारत और नाइजीरिया में मातृ मृत्यु की संख्या वर्ष 2015 में दुनिया में तीसरी सबसे अधिक थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। इस दिशा में भारत ने प्रगति की है।
2- उन्होंने कहा कि इसका सबसे बड़ा कारण महिलाओं में शिक्षा के प्रसार का है। अगर महिलाएं शिक्षित होंगी, तो मातृ मृत्यु की संख्या में काफी कमी आ सकती है। हालांकि उन्होंने कहा कि भारत में महिला साक्षरता दर बढ़ी है। इसके अलावा 18 वर्ष से पहले शादी करने वालों के अनुपात में काफी गिरावट आई है। देश भर में 27 फीसद महिलाओं की अभी भी निर्धारित उम्र से पहले शादी कर दी जाती हैं। महिलाओं को 18 वर्ष से अधिक उम्र में ही विवाह करने के लिए को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। डा दीपा के अनुसार, गर्भधारण का सबसे अनुकूल समय 20 से 30 वर्ष की उम्र के बीच होता है। गरीब गांव की पृष्ठभूमि से आने वाले युवतियों में मातृ मृत्यु दर अधिक है।