तोक्यो: जापान के एक मंदिर से करीब 13 साल पहले चुराई गई 14वीं सदी की बौद्ध प्रतिमा सोमवार को वापस कर दी गई। प्रतिमा के स्वामित्व को लेकर जापान और दक्षिण कोरिया के बीच वर्षों से कानूनी लड़ाई चल रही थी, जिससे दोनों पड़ोसी देशों के बीच संवेदनशील संबंध और तनावपूर्ण हो गए थे। जब प्रतिमा को लेकर एक ट्रक जापान के पश्चिमी द्वीप तुशिमा के कन्नोनजी मंदिर में पहुंचा तो सड़क किनारे खड़े मंदिर के कई सदस्यों और स्थानीय निवासियों ने स्वागत करते हुए तालियां बजाईं। संभावना है कि मंदिर में एक अनुष्ठान के बाद मूर्ति को स्थानीय संग्रहालय में रखा जाएगा।
50 सेंटीमीटर ऊंची है प्रतिमा बोधिसत्व की कांस्य की प्रतिमा को बैठी हुई मुद्रा में दर्शाया गया है और इसकी ऊंचाई लगभग 50 सेंटीमीटर है। इसे क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर घोषित किया गया है और यह 2012 में कन्नोनजी से चुराई गई दो प्रतिमाओं में से एक थी। दक्षिण कोरियाई सरकार ने उस वक्त एक प्रतिमा को जापानी मंदिर को लौटा दिया था, जब अधिकारियों ने चोरों से यह प्रतिमा बरामद की थी। मामले में चोरों को गिरफ्तार कर लिया गया था और उनके खिलाफ मुकदमे चलाए गये थे।
प्रतिमा को लेकर शुरू हुआ कानूनी विवाद बोधिसत्व की प्रतिमा को लेकर कानूनी विवाद उस वक्त शुरू हो गया, जब पश्चिमी तटीय शहर सेओसान स्थित दक्षिण कोरियाई मंदिर बुसेओक्सा ने मुकदमा दायर कर दिया और इसके स्वामित्व का दावा किया। दक्षिण कोरिया के उच्चतम न्यायालय ने 2023 में जापानी मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया और दक्षिण कोरियाई मंदिर को प्रतिमा वापस करने का आदेश दिया। जापान और दक्षिण कोरिया के बीच कोरियाई प्रायद्वीप में 1910-1945 के दौरान जापानी अत्याचारों को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है, हालांकि क्षेत्रीय सुरक्षा पर साझा चिंता के कारण उनके संबंधों में सुधार हुआ है।