इलेक्ट्रिक वाहन के बिल में गड़बड़ी से सब्सिडी अटक रही है। वाहन स्वामियों को संभागीय परिवहन विभाग कार्यालय (आरटीओ) के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। करीब 18 लाख रुपये की सब्सिडी फंसी हुई है। ऐसे में ई-वाहन खरीदने वाले परेशान हैं।
सरकार की तरफ से ई-वाहनों को रफ्तार देने के लिए रजिस्ट्रेशन फीस सब्सिडी के रूप में वापस कर दी जाती है। यह सब्सिडी आरटीओ में आवेदन के बाद मिलती है। ई-वाहन खरीदने के लिए सब्सिडी के लिए वाहन एजेंसी की तरफ से ऑनलाइन आवेदन किया जाता है।
कई मामलों में वाहनों के बिलों की गड़बड़ी परेशानी खड़ी कर रही है। एजेंसी वाहन की कीमत कम वाला बिल लगा देती है, जो निर्धारित कीमत से भिन्न होता है। इस वजह से वाहन स्वामी की सब्सिडी रुक जाती है। इस वजह से हर सप्ताह दो से चार वाहन स्वामी आरटीओ कार्यालय आते हैं और सब्सिडी के संबंध में जानकारी करते हैं।
वैसे भी दो से तीन माह का समय सब्सिडी वापस करने में लग रहा है। इससे ई-वाहन खरीदने वालों को परेशानी हो रही है। जबकि अधिकतर लोग वाहन रजिस्ट्रेशन फीस की वजह से ई-वाहन खरीद रहे हैं। चार पहिया वाहन की कुल कीमत से 11 प्रतिशत तक रजिस्ट्रेशन फीस लगती है।
एआरटीओ (प्रशासन) एनसी शर्मा का कहना है कि ई-वाहनों की सब्सिडी के लिए अलग से लिपिक को जिम्मेदारी दी हुई है। इससे लोगों को परेशानी न हो। एजेंसी की गलती के कारण दिक्कत हो रही है। इसे दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।