प्रयागराज। अखाड़ों की आंतरिक जांच में कई संत खरे नहीं उतर सके, उनकी कार्यप्रणाली सनातन धर्म व अखाड़े की रीति-नीति के विपरीत मिली है। इस पर उनके अखाड़े ने कठोर कदम उठाते हुए 13 संतों को निष्कासित कर दिया है। इसमें कुछ महामंडलेश्वर शामिल हैं।
वहीं, 112 के लगभग संतों को नोटिस देकर जवाब मांगा गया है। जिन्हें नोटिस मिली है, उन्हें 30 सितंबर तक जवाब देना होगा। संतोषजनक जवाब न मिलने पर निष्कासन की कार्रवाई की जाएगी। ऐसे संतों को महाकुंभ-2025 में प्रवेश नहीं मिलेगा।
अखाड़े से जुड़े संतों की कराई जाती है गोपनीय जांच
अखाड़े सनातन धर्मावलंबियों की आस्था व समर्पण का केंद्र हैं। मौजूदा समय 13 अखाड़े हैं। उन्हें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के माध्यम से संगठित किया गया है।
अखाड़े से जुड़े संतों में कोई दोष न आए इसके लिए दो-तीन वर्ष के अंतराल पर समस्त अखाड़े अपने महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, महंत, श्रीमहंतों की कार्यप्रणाली की गोपनीय जांच करवाते हैं।
जांच अखाड़े के पदाधिकारी करते हैं। इसमें उनका रहन-सहन, कार्यप्रणाली, किस प्रकार के लोगों से संबंध हैं? देखा जाता है। अपेक्षा के अनुरूप कार्यप्रणाली न मिलने पर नोटिस देकर जवाब मांगा जाता है, जिनमें ज्यादा दोष मिलता है उन्हें तत्काल अखाड़े से निष्कासित कर दिया जाता है। इस बार अप्रैल माह से जांच शुरू की गई, जो अभी जारी है।
112 संतों को दिया गया नोटिस
अब तक जूना अखाड़ा ने 54, श्री निरंजनी अखाड़ा ने 24, निर्मोही अनी अखाड़ा ने 34 संतों को नोटिस दिया है। इसमें 13 महामंडलेश्वर, 24 मंडलेश्वर सहित महंत शामिल हैं।
निर्मोही अनी अखाड़ा के अध्यक्ष व अखाड़ा परिषद (महानिर्वाणी गुट) के महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्र दास ने आधा दर्जन संतों को अखाड़े से निष्कासित किया है। इसमें नासिक के महामंडलेश्वर जयनेंद्रानंद दास, चेन्नई के महामंडलेश्वर हरेंद्रानंद, अहमदाबाद के महंत राम दास, उदयपुर के महंत अवधूतानंद, कोलकाता के महंत विजयेश्वर दास शामिल हैं।
इनके अलावा नासिक के आठ, उज्जैन के सात, हरिद्वार के छह, द्वारिका के 10 व रांची के एक संत को नोटिस देकर जवाब मांगा गया है। वहीं, श्री निरंजनी अखाड़ा ने महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी को निष्कासित करके उनके खिलाफ पुलिस की रिपोर्ट दर्ज करवाई है। इनके अलावा सात संतों को निष्कासित किया गया है।
पंचपरमेश्वरों को मिलीं ये गड़बड़ियां
आरोपित धार्मिक गतिविधि की जगह धनार्जन में लिप्त मिले।
कुछ के आपराधिक लोगों से संबंध सामने आए।
कुछ महामंडलेश्वर ने दूसरों को महामंडलेश्वर बनाने के लिए पैसा लिया।
संतों की आंतरिक जांच में कई महामंडलेश्वर व संत खरे नहीं उतरे। निरंजनी अखाड़ा की महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी को निष्कासित करके पुलिस की कार्रवाई कराई गई है। जो गलत होगा उसके खिलाफ आगे भी कार्रवाई होगी। अखाड़े से निष्कासित लोगों को महाकुंभ में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
अखाड़े के पंच और पदाधिकारी करते हैं महत्वपूर्ण निर्णय
हर अखाड़े का संचालन अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, उप सचिव, मंत्री, उप मंत्री, कोतवाल, थानापति आदि पदाधिकारियों के जरिए होता है। अखाड़े में 15-20 वर्ष समर्पित भाव से काम करने वाले पदाधिकारी बनाए जाते हैं। इनका चयन चुनाव के जरिए होता है।
वहीं, पांच वरिष्ठ व विद्वान सदस्यों को पंच परमेश्वर की उपाधि दी जाती है। अखाड़े के आश्रम, मठ-मंदिर, गुरुकुल का संचालन यही करते हैं। महामंडलेश्वर किसे बनाना है किसे नहीं? उसका निर्णय यही लेते हैं। अखाड़ों के पदाधिकारी व पंच समस्त संतों पर नजर रखते हैं। जिन संतों की शिकायत मिलती है और उनकी गतिविधि संदेहास्पद रहती है।
वहां संबंधित अखाड़े के सचिव, मंत्री, संयुक्त मंत्री स्तर के पदाधिकारी को भेजा जाता है। वो जहां का मामला होता है वहां 15 से 20 दिन प्रवास करते हैं। बाहर रहकर सारी जानकारी एकत्र करते हैं। फिर उक्त संत के आश्रम में कुछ दिनों तक प्रवास करके समस्त गतिविधियों पर नजर रखते हैं।
इसके बाद रिपोर्ट अखाड़े के प्रमुख को देते हैं। फिर उसे अखाड़े के पंच परमेश्वर के समक्ष रखा जाता है। सारे पहलुओं पर चर्चा करने के बाद निष्कासन अथवा नोटिस देने की कार्रवाई की जाती है।
इन बिंदुओं पर होती है जांच
संत ने धार्मिक कृत्य को बढ़ावा दिया अथवा नहीं?
स्वयं को ईश्वर के समान महिमामंडित करते हुए पाखंड तो नहीं फैला रहे हैं?
सामाजिक कार्यों में सक्रियता है अथवा नहीं?
आपराधिक व्यक्ति अथवा पाखंडियों से संपर्क तो नहीं है?
धनार्जन के लिए ठेकेदारी अथवा दलाली तो नहीं कर रहे?
अध्यक्ष निर्मोही अनी अखाड़ा व महामंत्री अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद श्रीमहंत राजेंद्र दास ने बताया अखाड़े की परंपरा व सनातन धर्म के विपरीत आचरण मिलने पर कुछ महामंडलेश्वर व महंतों को निष्कासित किया गया है। वहीं, तमाम लोगों को नोटिस देकर जवाब मांगा गया है।
जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने कहा संतों की कार्यप्रणाली की जांच कराई जा रही है। कुछ की स्थिति संदेहास्पद मिली है, उन्हें नोटिस देकर जवाब मांगा गया है। उचित जवाब न मिलने पर निष्कासन किया जाएगा।