मथुरा के ध्रुव घाट से निकलकर यमुना जैसे ही आगरा के कैलाश घाट पहुंचती है, प्रदूषण 90 फीसदी तक कम हो जाता है। आगरा से जैसे ही फिरोजाबाद की सीमा में यमुना प्रवेश करती है, फिर से प्रदूषण की मात्रा 300 फीसदी तक बढ़ जाती है। है न कमाल। आगरा की सीमा में यमुना नदी प्रदूषित तो है, लेकिन मथुरा और फिरोजाबाद से बेहद कम। इन दावों पर पर्यावरणविदों और लोगों को भरोसा न हो, लेकिन आंकड़ों की बाजीगरी ऐसी ही है। इन आंकड़ों को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जारी किया है।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट में यमुना नदी के पानी के नमूने का ब्योरा दिया गया है। इसमें मथुरा के विश्राम घाट और ध्रुव घाट हैं तो आगरा में कैलाश, वाटरवर्क्स और ताजमहल के पीछे दशहरा घाट पर लिए गए नमूनों की रिपोर्ट है। मथुरा से लेकर फिरोजाबाद तक यमुना नदी का पानी मानकों के मुकाबले 150 गुना तक प्रदूषित है और नहाने क्या, सिंचाई लायक भी नहीं है।
91 नालों से पहुंच रहा सीवेज, फिर भी साफ
आगरा में कैलाश से लेकर ताजमहल के आगे नगला पैमा तक शहर के 91 नाले यमुना नदी में गिरते हैं जो सीवर और रसायनों को यमुना में डालकर मैली और घातक बना रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में आगरा में यमुना के आते ही प्रदूषण की मात्रा मथुरा से महज 10 फीसदी रह रही है। बोर्ड अधिकारियों का तर्क है कि नदी का पानी लंबी दूरी तय करने पर अपने आप साफ होता है। ऐसा मथुरा से आगरा आने पर तो होता है, लेकिन हैरतअंगेज रूप से यमुना के आगरा से फिरोजाबाद जाने पर गंदगी बढ़ती है। मथुरा और फिरोजाबाद से ज्यादा सीवर और गंदगी आगरा में यमुना में पहुंचती है।
यमुना जल में कॉलीफॉर्म की संख्या
घाट 2025 2024 2023
मथुरा ध्रुव घाट 79,000 84,000, 1,20,000
आगरा कैलाश घाट 9200 11,000 11,000
आगरा वाटरवर्क्स 11,000 17,000 15,000
आगरा ताजमहल 15,000 21,000 25,000
फिरोजाबाद 35,000 54,000 63,000
(कॉलीफॉर्म : टोटल कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया का समूह है, इसकी संख्या से तय होता है कि पानी में कितना प्रदूषण है, अधिक कॉलीफॉर्म वाले पानी से बीमारियां हो सकती हैं)
फर्जी आंकड़ों से छिपा रहे बीमारी
पर्यावरणविद याचिककर्ता डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ ने बताया कि यमुना में प्रदूषण पर 58 करोड़ के जुर्माने के बाद अफसरों ने यह आंकड़ों की बाजीगरी की है। यह चौंकाने वाले आंकड़े हैं। इन्हें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाएगा। फर्जी आंकड़ों से यमुना की बीमारी छिपाई जा रही है।
रिपोर्ट ठीक दें तब होगा समाधान
पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि यमुना के हालात तब तक ठीक नहीं होंगे, जब तक फर्जी आंकड़े पेश किए जाएंगे। बीमारी का निदान करना है तो रिपोर्ट ठीक दें, तब समाधान होगा। आगरा के अफसर हवा के साथ पानी में भी फर्जीवाड़ा कर गलत तस्वीर पेश कर रहे हैं।