Ghazipur News: गाजीपुर जिले में ट्रिपल मर्डर के बाद डिलियां गांव की यादव बस्ती में सन्नाटा पसरा है। माता-पिता और बहन की हत्या करने वाला आरोपी घर से फरार है, ऐसे में डर के चलते उसके घर में जाने से पड़ोसी कतरा रहे हैं। वहीं घर पर चारे के लिए पशु तड़प रहे हैं।
गाजीपुर शहर कोतवाली क्षेत्र के डिलियां गांव की यादव बस्ती में बहन और माता-पिता को कुल्हाड़ी से काटकर तीन हत्या करने का आरोपी अभय उर्फ भुट्टन स्वभाव से कठोर और तंत्र-मंत्र पर विश्वास करता था। उसने अपने निर्माणाधीन मकान में कुछ ऐसी तस्वीरें भी लगाईं हैं, जो ग्रामीणों की इन बातों को प्रमाणित भी कर रही हैं। वारदात के तीसरे दिन भी गांव में सन्नाटा पसरा रहा। डर के चलते मृतकों के घर की तरफ गांव के लोग नहीं जा रहे हैं। मौके पर दो दिन तक तैनात रही पुलिस भी दो बेजुबान पशुओं को उनकी नादों तक पहुंचाने के बाद चली गई। अब पशुओं को चारा तक देने के लिए कोई नहीं है।
मां-बाप-बहन को कुल्हाड़ी से काट डाला था अभय
बीते रविवार को दोपहर में बेटे अभय के हाथों बुजुर्ग पिता शिवराम (70), मां जमुनी देवी (65) और इकलौती बड़ी बहन कुसुम (35) की हत्या के बाद से हर कोई हैरान है। तीनों शवों के अंतिम संस्कार में डिलियां गांव की यादव बस्ती से लोग शामिल नहीं हुए। वहीं शिवराम की ससुराल से आए साले शिवशंकर यादव भी मुखाग्नि देने के बाद अपने घर चले गए।
अंधविश्वास को लेकर डरे हुए हैं ग्रामीण
डिलियां में लोग हत्यारोपी बेटे और उसकी पत्नी को इसके लिए जिम्मेदार मान रहे हैं। लेकिन, किसी अजनबी को देखने और नजदीक आने पर चर्चा भी बंद कर देते हैं। वह कहते हैं कि इस बारे में हमें कोई बात नहीं करनी, क्योंकि वह अंधविश्वास को लेकर डरे हुए हैं।
इस वजह से तंत्र-मंत्र पर विश्वास करता था अभय और उसका परिवार
कुछ ग्रामीण दबी जुबान बताते हैं कि अभय और उसका परिवार तंत्र-मंत्र पर विश्वास करता था। एक बार अभय की तबीयत खराब हुई थी तो उसे एक बाबा के यहां ले गए थे, जिसके बाद वह ठीक हो गया और उसके बाद से वह अपने हिसाब से पूजा-पाठ भी करता था।
घटना को आंखों के सामने देखने वाले बना रहे दूरी
तीन हत्याओं की वारदात को अपनी आंखों से देखने और आरोपी का स्वभाव जानने के बाद गांव और खानदान के लोग भी दूरी बनाते नजर आ रहे हैं। वहीं, शिवराम के घर वारदात के पहले जो सामान जैसे पड़ा था, वैसे ही तीसरे दिन भी पड़ा रहा। आखिरी बार रसोई में बनाए खाने के बाद पड़े कंडे की राख भी चूल्हे में ही है और चारों तरफ मिट्टी से लिपाई की गई है।