वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की संभावित जीत से क्रिप्टोकरेंसी बाजार में तूफानी तेजी देखने को मिल रही है। बिटकॉइन ने पहली बार 75,000 डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया है।
बिटकॉइन निवेशक मानते हैं कि ट्रंप की नीतियां क्रिप्टोकरेंसी मार्केट के लिए ज्यादा अनुकूल है। उनका मानना है कि ट्रंप के सत्ता में आने की सूरत में बिटकॉइन की कीमतों में और अधिक उछाल आएगा।
अमेरिका को क्रिप्टो कैपिटल बनाने का दावा
डोनाल्ड ट्रंप अपनी चुनावी जनसभा में कई बार अमेरिका को क्रिप्टो कैपिटल (Bitcoin surge) बनाने की बात कही है। इसके सहारे उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों, खासकर युवाओं को अपनी ओर लुभाने की कोशिश की।
ट्रंप के साथ उनके कट्टर समर्थक और टेस्ला के मालिक एलन मस्क भी क्रिप्टोकरेंसी को काफी पसंद करते हैं। अमेरिका में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वालों की तादाद कुल आबादी की तकरीबन 16 फीसदी है, जो जाहिर तौर पर चुनावी नतीजों पर बड़ा डालने की ताकत रखता है।
एलन मस्क के पास कितनी क्रिप्टोकरेंसी
दुनिया के सबसे अमीर कारोबारियों में शुमार एलन मस्क के पास बिटकॉइन, इथेरियम, डॉगेकॉइन और शिबाइनु की काफी हॉल्डिंग हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मस्क ने दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी में 140 मिलियन डॉलर का निवेश किया हुआ है।
यह सारा इन्वेस्टमेंट उनकी इलेक्ट्रिक कार मेकर टेस्ला के जरिए किया गया है। मस्क ने व्यक्तिगत तौर पर इथेरियम और डॉगेकॉइन में भी निवेश किया है। हालांकि, इसकी वैल्यू की जानकारी नहीं मिल सकी है।
कितनी बढ़ी है बिटकॉइन की कीमत
बिटकॉइन की कीमतों में आज 9 फीसदी से अधिक का उछाल आया है। यह एक वक्त 75,000 डॉलर (Bitcoin Reaches 75,000 dollars) के पार पहुंच गई थी। फिर इसमें थोड़ा करेक्शन हुआ।
सुबह करीब 10 बजे तक बिटकॉइन 7.03 फीसदी उछाल के साथ 74,263.27 डॉलर पर ट्रेड कर रही थी। पिछले एक महीने की बात करें, तो बिटकॉइन के दाम 20.28 फीसदी तक बढ़े हैं। वहीं, 1 साल में इसकी कीमतों में 112 फीसदी का भारी उछाल आया है।
क्या होती है बिटकॉइन?
बिटकॉइन दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी है। इसे वर्चुअल करेंसी या डिजिटल करेंसी भी कहा जाता है। यह पूरी तरह से वर्चुअल करेंसी है। इसका मतलब कि इसमें कोई फिजिकल कॉइन या नोट नहीं होता।
यह करेंसी का एक ऑनलाइन वर्जन है। इसका इस्तेमाल प्रोडक्ट या सर्विसेज के लिए किया जा सकता है। लेकिन, अभी काफी कम प्लेटफॉर्म इसे स्वीकार करते हैं। कुछ देशों ने तो क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से पाबंदी लगा रखी है।