रियाद। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद और खाड़ी क्षेत्र में जारी संघर्ष के बीच सोमवार को सऊदी अरब की राजधानी रियाद में एक महत्वपूर्ण अरब-इस्लामिक सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में 50 से ज्यादा मुस्लिम देशों के नेताओं ने हिस्सा लिया।
हालांकि, इस बैठक में ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान शामिल नहीं हुए। उनकी व्यस्तता की वजह से वो इस सम्मेलन में शामिल नहीं हो सके। इस सम्मेलन का मुख्य एजेंडा सभी देशों को इजरायल के खिलाफ एकजुट करना था। सऊदी अरब समेत कई देशों ने इजरायल के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने की मांग की।
इजरायल पर सऊदी अरब का फूटा गुस्सा
सम्मेलन में पहली बार सभी इस्लामिक देशों ने एक स्वर में लेबनान, गाजा, फिलिस्तीन में इजरायल की कार्रवाई के खिलाफ आवाज उठाई है। वहीं, सभी देशों ने इजरायल के हमलों को तुरंत रोकने की अपील भी की है।
सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने ने दो टूक कहा कि सऊदी अरब इजरायल द्वारा फिलिस्तीनियों के जनसंहार की निंदा करता है। इजरायल को तुरंत अपनी कार्रवाई रोक देनी चाहिए। प्रिंस सलमान ने कहा कि फिलीस्तीन एक स्वतंत्र देश है और उसको इंडिपेंडेंट कंट्री का दर्जा मिलना चाहिए।
इन मुद्दों पर हुई मीटिंग
सम्मेलन में यरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद का भी मुद्दा उठाया गया। मुस्लिम नेताओं ने आरोप लगाया कि इजरायल बार-बार अल अक्सा मस्जिद की पवित्रता का उल्लंघन कर रहा है। सम्मेलन में 33 सूत्रीय मसौदा भी पेश किया गया।
इस मसौदे में फिलिस्तीन के प्रति समर्थन जाहिर किया गया है। वहीं, लेबनान, ईरान, इराक और सीरिया के संप्रभुता की उल्लंघन की निंदा की गई है। इसके अलावा, इजरायल गाजा संघर्ष खत्म करवाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की गई है।
सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र से फलस्तीन की समस्याओं का समाधान करने पर भी जोर दिया गया। गाजा में युद्दविराम और वहां की लोगों की मदद करने के लिए सभी देशों से अपील की गई।