ढाका। बांग्लादेश और भारत के बीच संबंधों में तनाव देखा जा रहा है। इस बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत के राजनीतिक नेतृत्व पर घरेलू राजनीतिक लाभ के लिए बांग्लादेश से जुड़े मुद्दों का फायदा उठाने का आरोप लगाया है।
सूचना सलाहकार नाहिद इस्लाम ने कहा, ‘अगर ऐसा होता है तो यह भारत की घरेलू राजनीति के लिए हानिकारक होगा। बांग्लादेश विरोधी और मुस्लिम विरोधी राजनीति भारत के राष्ट्रीय हित में मदद नहीं करेगी या इसकी एकता में योगदान नहीं देगी।’
नाहिद इस्लाम शेख हसीना के खिलाफ प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले छात्र नेताओं में से एक हैं। नाहिद ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचार का जिक्र नहीं किया। हालांकि उनके बयान से यह साफ दिखा कि वह नहीं चाहते भारत में इस पर चर्चा की जाए।
नाहिद ने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों के महत्व पर जोर देते हुए भारत से बांग्लादेश के खिलाफ ‘झूठा प्रचार’ बंद करने का आग्रह किया।
हिंदुओं की सुरक्षा का दावा
नाहिद इस्लाम ने कहा कि बांग्लादेश पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम के साथ गहरे संबंध साझा करता है, जिसे उन्होंने बांग्लादेश के यात्रा में हितधारक बताया।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे आंदोलन के दौरान कोलकाता और दिल्ली के छात्र शेख हसीना के शासन के अत्याचारों का विरोध करते हुए हमारे समर्थन में एकजुटता से खड़े हुए थे।
भारत के लोकतंत्र-प्रेमी लोग हमारे मित्र हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि बांग्लादेश हिंदुओं सहित सभी अल्पसंख्यक समुदायों के लिए पूर्ण नागरिकता अधिकार, सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
दुष्प्रचार से लड़ेगा बांग्लादेश!
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने बुधवार को राजनीतिक दलों से राष्ट्रीय एकता का आह्वान किया ताकि तत्कालीन शेख हसीना सरकार के खिलाफ हुए विद्रोह को बदनाम करने के लिए ‘बड़े देशों की भागीदारी वाले अभियान’ का मुकाबला किया जा सके।
भारत के साथ तनाव के बीच राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए यूनुस ने किसी देश का नाम नहीं लिया। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि यूनुस ने तीन मुद्दों पर राजनीतिक नेताओं की राय मांगी, जिनमें भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में बांग्लादेश के खिलाफ चल रहा ‘दुष्प्रचार’, अगरतला में बांग्लादेश मिशन पर हमला और हाल के दिनों में अल्पसंख्यकों पर हमलों के आरोप शामिल हैं।