गर्भवती महिलाओं और गर्भ में पल रहे शिशु के लिए प्लास्टिक से बने उत्पाद गंभीर खतरा बन रहे हैं। प्लास्टिक उत्पाद बनाने में इस्तेमाल होने वाले बिसफिनोल-ए रसायन गर्भावस्था में मधुमेह की वजह बन रहा है। इसकी वजह से प्रसूता और होने वाले बच्चे दोनों को जोखिम रहता है। डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान और आगरा के सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज के साझा अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है।
अध्ययन में जुलाई 2023 से जून 2024 के बीच संस्थान में आने वालीं 161 गर्भवती महिलाओं को शामिल किया गया। इन्हें दो समूहों में बांटा गया। पहले समूह में गर्भावस्था की अवधि में मधुमेह से पीड़ित और दूसरे में सामान्य महिलाएं थीं। इनके मूत्र का नमूना लेकर उसमें बिसफिनोल-ए रसायन और खून में ग्लूकोज के स्तर की जांच की गई। अध्ययन में डॉ. प्रभाव के. अग्रवाल, डॉ. शिव एस यादव, डॉ. रुचिका गर्ग, डॉ. कामना सिंह, डॉ. संदीप्ता के. पांडा, डॉ. मनीष आर. कुलश्रेष्ठ, डॉ. आशीष गौतम, डॉ. निखिल पुर्सनानी, डॉ. प्रशांत गुप्ता, डॉ. गौरव गुप्ता शामिल रहे।
मधुमेह पीड़ित महिलाओं में तीन गुना ज्यादा मिला खतरनाक रसायन
– अध्ययन में देखा गया कि गर्भावस्था मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में बिसफिनोल-ए रसायन का स्तर 41.17 माइक्रोग्राम प्रति लीटर था।
– वहीं, सामान्य महिलाओं में इस रसायन का स्तर 14.19 माइक्रोग्राम प्रति लीटर ही था।
– इस तरह सामान्य के मुकाबले मधुमेह पीड़ित महिलाओं में बिसफिनोल-ए रसायन का स्तर करीब तीन गुना मिला।
शहरी क्षेत्र में गर्भावस्था मधुमेह की समस्या ज्यादा
– गर्भावस्था मधुमेह, गर्भ की अवस्था के दौरान विकसित होता है। गर्भावस्था के हार्मोन से इंसुलिन रुकने की वजह से महिला के खून में ग्लूकोज का स्तर बहुत अधिक हो जाता है।
– हालांकि, ज्यादातर मामलों में प्रसव के बाद यह स्तर सामान्य हो जाता है। शहरी क्षेत्र में 17.8 फीसदी और अर्धशहरी क्षेत्र में 13.8 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्र में 9.9 फीसदी महिलाएं इससे पीड़ित पाई गईं।

