नई दिल्ली। विपक्षी दलों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शेखर यादव के विवादास्पद बयान के लिए उनके खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए राज्यसभा में नोटिस दिया। सूत्रों के मुताबिक नोटिस पर 55 विपक्षी सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं।
इनमें कांग्रेस के कपिल सिब्बल, विवेक तन्खा और दिग्विजय सिंह, CPM के जॉन ब्रटास, RJD के मनोज कुमार झा और TMC के साकेत गोखले शामिल हैं। सांसदों ने राज्यसभा महासचिव से मुलाकात की और नोटिस सौंपा।
जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की मांग करते हुए न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 और संविधान के अनुच्छेद 218 के तहत प्रस्ताव के लिए नोटिस पेश किया गया है।
नोटिस में कहा गया कि विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यक्रम में न्यायमूर्ति की ओर से दिए गए भाषण या व्याख्यान से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि उन्होंने भारत के संविधान का उल्लंघन करते हुए नफरत फैलाने वाला भाषण दिया और सांप्रदायिक विद्वेष को भड़काया।
नोटिस के मुताबिक, ‘न्यायाधीश ने प्रथम दृष्टया अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया और उनके खिलाफ पूर्वाग्रह-पक्षपात जाहिर किया। जज ने समान नागरिक संहिता से संबंधित राजनीतिक मामलों पर सार्वजनिक बहस में भाग लिया या सार्वजनिक रूप से अपने विचार व्यक्त किए, जो न्यायिक जीवन के मूल्यों के पुनर्कथन, 1997 का उल्लंघन है।
क्या है मामला?
VHP के आठ दिसंबर को आयोजित एक समारोह में न्यायमूर्ति यादव ने कहा था कि समान नागरिक संहिता का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है। एक दिन बाद न्यायाधीश के भड़काऊ मुद्दों पर बोलने वाले वीडियो सोशल मीडिया पर आए। इसके बाद विपक्षी नेताओं सहित कई हलकों से कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आईं।
SC ने स्वत: संज्ञान लिया
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को न्यायमूर्ति यादव के कथित विवादास्पद बयानों पर समाचार रिपोर्टों का संज्ञान लिया। कोर्ट ने इस मुद्दे पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जानकारी मांगी।