पटना। बिहार की राजधानी पटना के जक्कनपुर थाना क्षेत्र के संजय नगर रोड नंबर 10 में शुक्रवार की रात स्पेशल टास्क फ़ोर्स (STF) के साथ मुठभेड़ में मारे गए अजय राय उर्फ काका ने बिजली मिस्त्री बन कर सविता देवी के मकान में किराये पर कमरा लिया था।
तीन मंजिले मकान में सविता देवी परिवार के साथ नीचे रहती थीं। पहली मंजिल पर अजय और उसके दो साथी तीन दिनों से रह रहे थे, जबकि ऊपर के तले में दूसरे किरायेदार रहते हैं।
गुप्त सूचना पर एसटीएफ के सब-इंस्पेक्टर दिवाकर कुमार चार सदस्यीय टीम के साथ रात 9 बजे वहां पहुंचे। तब सविता देवी के मकान के आसपास लोग थे। उन्होंने सभी को घर में जाने को कहा और स्वयं टीम का नेतृत्व करते हुए मकान में दाखिल हो कर सीढ़ी पर चढ़ने लगे।
पहली मंजिल पर दरवाजा खोलते ही अजय ने फायरिंग शुरू कर दी। एक गोली दिवाकर के बुलेटप्रूफ जैकेट में लगी, जबकि दूसरी दाहिने बांह को छीलते हुए निकल गई। इस पर एसटीएफ की ओर से भी जवाबी फायरिंग की गई। चार गोलियां लगते ही अजय ढेर हो गया। एसएसपी राजीव मिश्रा ने अजय के मारे जाने की पुष्टि की है।
दीवार फांद भाग गए अपराधी
29 मिनट तक चली इस मुठभेड़ के दौरान अजय के साथ रहे दो अन्य अपराधी दीवार फांद कर दाहिने तरफ के मकान की छत पर कूद गए और वहां से नीचे छलांग मारकर बाईपास की ओर भाग निकले।
रात 9:35 बजे एसटीएफ और जक्कनपुर थाने की पुलिस टीम मौके पर पहुंची। उन्होंने फरार अपराधियों का पता लगाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं मिले। भागने वालों से एक का नाम मोहम्मद बताया जा रहा है।
इधर, पुलिस ने मकान मालकिन से पूछताछ की तो मालूम हुआ कि तीन दिन पहले अजय ने आकाश यादव के नाम पर बना आधार कार्ड दिया था। पुलिस को अंदेशा है कि उसने नकली पहचानपत्र देकर कमरा लिया था।
चिकित्सकों ने घोषित किया मृत
जख्मी हालत में अजय को पहले नजदीकी अस्पताल लेकर जाया गया, जहां से चिकित्सकों ने एनएमसीएच रेफर कर दिया और वहां उसे मृत घोषित किया गया। डीआइजी और एसपी भी पहुंचे मौके पर मुठभेड़ के बाद एसटीएफ डीआइजी विवेकानंद, एसपी समेत महकमे के आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए।
सविता देवी के मकान में सीसी कैमरे लगे थे। पुलिस ने डीवीआर को सुरक्षित रख लिया ताकि न्यायिक जांच के वक्त उसे साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सके। अजय ने पिछले वर्ष अरवल जिले में एक्सिस बैंक में डाका डाला था। वह हरियाणा में हुई बैंक लूट में भी शामिल रहा था।
अजय, चंदन सोनार गिरोह को छोड़ने के बाद निरंतक गिरोह का कारिंदा रहा था। निरंतक अभी पश्चिम बंगाल की जेल में है। इसके बाद उसने निरंतक के गुर्गों को साथ लेकर खुद का गिरोह बना लिया था।