नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र का आज 15वां दिन है। लोकसभा में संविधान पर चर्चा हो रही है, जिसका आज दूसरा और आखिरी दिन है। देश में संविधान के 75 साल पूरे होने पर लोकसभा में शुक्रवार से दो दिन की चर्चा शुरू हुई और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आज इस पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने एक मंत्र देश के सामने रखा। वह मंत्र है ‘सबका साथ, सबका विकसा, सबका विश्वास और सबकी प्रयास।’
उन्होंने कहा, ‘मुझे फख्र है, जब प्रधानमंत्री मोदी का कार्यकाल शुरू हुआ तो संविधान का पालन करते हुए अपनी सरकार का मंत्र देश के सामने रखा। वह मंत्र है- सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास।’
पहले विमान देखा फिर कार
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘मैं ऐसे क्षेत्र से आया हूं जहां मैंने पहले हवाई जहाज देखे और बाद में कारें देखीं क्योंकि मेरे सांसद बनने के बाद ही कारों के लिए सड़कें बनीं। जब प्रधानमंत्री ने मुझे उस जगह पर बैठने का अवसर दिया, जहां बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर विराजमान रहे थे।
जब मैं इस देश का कानून मंत्री बना। कानून मंत्री का पद संभालने से पहले मैंने सबसे पहले यह समझने की कोशिश की कि बाबा साहेब आंबेडकर क्या चाहते थे, उनके मन में ऐसी कौन सी सारी बातें और विचार थे जो वो नहीं कर पाए।
पहली बात जो मेरे दिमाग में आई वो ये कि बाबा साहेब आंबेडकर इस देश के पहले कानून मंत्री बने, लेकिन उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया, इसकी चर्चा अक्सर लोगों के सामने नहीं होती। मैंने वह पत्र पढ़ा जो बाबा साहेब आंबेडकर ने पंडित नेहरू जी को लिखा था, जो उस समय प्रधानमंत्री थे। हमारा संविधान न केवल विश्व का सबसे बड़ा संविधान है बल्कि विश्व का सबसे सुंदर संविधान भी है।’
यूरोपियन यूनियन में 48 फीसदी लोग भेदभाव का शिकार हुए
रिजिजू ने कहा, ‘एक धारणा बनाई जा रही है। यूरोपियन यूनियन में सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस के सर्वे के मुताबिक यूरोपियन यूनियन में 48 फीसदी लोग भेदभाव का शिकार हुए हैं। उनमें से ज्यादातर मुसलमान हैं। फ्रांस में कई भेदभाव की रिपोर्ट सामने आई थीं।
उसमें बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हिजाब पहनने, बुर्का पहनने वालों पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि उनके साथ यह भेदभाव किया जा रहा है। इतना ही नहीं, स्पेन में मुसलमानों के खिलाफ आंतरिक घृणा अपराधों की रिपोर्ट इतनी अधिक है, इसमें इसका भी जिक्र किया गया है।’
जब कोई समस्या होती है तो भारत की शरण में आते हैं लोग
उन्होंने आगे कहा, ‘आप पाकिस्तान के हालात जानते हैं। बांग्लादेश में क्या होता है, यह भी आप लोग जानते हैं। अफगानिस्तान में सिखों, हिंदुओं, ईसाइयों के साथ क्या हुआ है यह भी किसी से छिपा नहीं है।
चाहे वह तिब्बत या म्यांमार, श्रीलंका या बांग्लादेश, पाकिस्तान या अफगानिस्तान में कोई समस्या होती है, अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार होता है या कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो पहला देश जहां वे सुरक्षा मांगने आते हैं वह भारत है।
फिर यह क्यों कहा जाता है कि इस देश में अल्पसंख्यकों के लिए कोई सुरक्षा नहीं है। मैं कह रहा हूं कि ऐसी बातें नहीं कही जानी चाहिए जो देश की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं, मैं यह किसी एक पार्टी के लिए नहीं कह रहा हूं। मैं यह देश के लिए कह रहा हूं।’