चुनाव नियमों में संशोधन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची कांग्रेस, कहा- शीर्ष अदालत से मदद की उम्मीद
नई दिल्ली। चुनाव संचालन नियम में संशोधन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। मंगलवार को कांग्रेस ने केंद्र सरकार के संशोधन के खिलाफ शीर्ष अदालत में रिट याचिका दाखिल की।
कांग्रेस ने उम्मीद जताई कि शीर्ष अदालत चुनावी प्रक्रिया की तेजी से खत्म हो रही अखंडता को बहाल करने में सहायता प्रदान करेगी।
कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने चुनाव से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण पर रोक लगा दी है। संशोधन के बाद अब आम जनता इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों का निरीक्षण नहीं कर पाएगी।
नए नियम के मुताबिक सरकार ने सीसीटीवी कैमरा और वेबकास्टिंग फुटेज के साथ-साथ उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण पर प्रतिबंध लगाया है। इसका उद्देश्य इन रिकॉर्ड के संभावित दुरुपयोग को रोकना है।
जयराम रमेश ने दाखिल की याचिका
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने नए संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया की अखंडता तेजी से खत्म हो रही है। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इसे बहाल करने में मदद करेगा।
जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, “चुनाव नियम- 1961 में हाल ही में किए गए संशोधनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट दायर की गई है।
संशोधन की अनुमति नहीं दी जा सकती
जयराम रमेश ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है। इस पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने का दायित्व है। मगर एकतरफा और बिना सार्वजनिक परामर्श के कानून में इस तरह बेशर्मी से संशोधन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
उन्होंने कहा कि संशोधन आवश्यक जानकारी तक जनता की पहुंच को समाप्त करता है, जो चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबदेह बनाता है।
नियम 93 में किया गया संशोधन
भारत निर्वाचन आयोग की सिफारिश के आधार पर केंद्रीय कानून मंत्रालय ने शुक्रवार को चुनाव नियम- 1961 के नियम 93(2) (ए) में संशोधन किया है।
इसके तहत इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के सार्वजनिक निरीक्षण पर रोक लगा दी गई है। हालांकि प्रत्याशियों के लिए यह दस्तावेज निरीक्षण के उपलब्ध होंगे।