नई दिल्ली। हिज्ब-उत-तहरीर के आतंकियों ने इस्लामी देशों की सैन्य शक्ति को प्रदर्शित करने के लिए एक प्रदर्शनी का आयोजन किया था। इनमें लोगों को हिंसक जिहाद और युद्ध के माध्यम से भारत में कानूनी रूप से स्थापित सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए बुलाया गया था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अपने आरोपपत्र में आरोप हिज्ब-उत-तहरीर के सदस्यों के खिलाफ ये बातें कही हैं।
एजेंसी ने विशेष एनआईए अदालत के समक्ष एक पूरक आरोपपत्र दायर किया। इसमें उसने अब्दुल रहमान और मुजीबुर रहमान को यूएपीए की विभिन्न धाराओं के तहत तमिलनाडु और अन्य स्थानों पर हिज्ब उत तहरीर की विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने की साजिश रचने और तैयारी करने के आरोप में नामजद किया। दोनों को इस साल जून में एनआईए ने गिरफ्तार किया था।
लागू करना चाहते थे शरीया कानून
एनआईए के अनुसार, जांच से पता चला है कि आरोपियों ने संगठन की विचारधारा का प्रचार करने के लिए हिज्ब उत तहरीर के स्वयंभू पदाधिकारियों के साथ साजिश रची थी।
इसका उद्देश्य भारत में इस्लामिक खिलाफत की स्थापना करना और एचयूटी के संस्थापक तकी अल-दीन अल-नभानी द्वारा लिखित शरिया आधारित संविधान के मसौदे को लागू करना था। NIA की जांच के अनुसार, आरोपी सक्रिय रूप से हिज्ब उत तहरीर की सीक्रेट क्लासेज में दारिस (छात्रों) की भर्ती में शामिल थे।
उन्होंने ‘बयान’ (धार्मिक प्रदर्शन) कक्षाएं भी संचालित की थीं। साथ ही सोशल मीडिया पर संगठन की भारत विरोधी विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए कई शॉर्ट फिल्में भी बनाई थीं।
यूपी, तमिलनाडु समेत 4 राज्यों में स्लीपर सेल
लेबनान स्थित इस कट्टरपंथी समूह की ब्रिटेन सहित पश्चिमी देशों में उपस्थिति है। पिछले वर्ष अक्टूबर में फिलिस्तीन के समर्थन में हुए सड़क विरोध प्रदर्शन के बाद इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, क्योंकि इसने इजरायल में हमास की कार्रवाई की प्रशंसा की थी।
मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में इसके स्लीपर सेल के उभरने के बाद भारत ने हाल ही में इस समूह पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया है। इस साल की शुरुआत में मप्र के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने हिज्ब उत तहरीर के पहले मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था।
अधिकारियों के अनुसार, बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मामले को एनआईए को सौंप दिया। एजेंसी ने बाद में हिज्ब उत तहरीर के 17 सदस्यों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।