बरेली। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की एक अदालत ने जमीन के विवाद को लेकर अपने सगे भाई की हत्या करने के जुर्म में एक व्यक्ति और उसके बेटे को मंगलवार को फांसी की सजा सुनाई। दरअसल, प्रॉपर्टी विवाद में एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में आरोपी मृतक का भाई और भतीजा था।
मामले की सुनवाई बरेली कोर्ट में हुई। तमाम गवाहों और सबूतों के आधार पर कोर्ट ने आरोपियों को दोषी करार दिया। इसके बाद आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई। सजा का ऐलान करते समय जज रवि कुमार दिवाकर ने रामायण के प्रसंग का उल्लेख किया।
जज ने कहा कि भगवान राम के वनवास जाने के बाद भाई भरत ने सिंहासन लेने से मना कर दिया था। आपने तो प्रॉपर्टी के लिए अपने भाई को जान से मार डाला। इसलिए आपको कोई राहत नहीं दी सकती है। बरेली कोर्ट के इस फैसले की खूब चर्चा हो रही है।
कोर्ट ने किया सजा का ऐलान
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता दिगम्बर सिंह ने बताया कि 20 नवंबर 2014 को रघुवीर सिंह नामक व्यक्ति ने जमीन के विवाद को लेकर अपने बेटे तेजपाल सिंह उर्फ मोनू की मदद से अपने भाई चरन सिंह की हत्या कर दी थी।
तेजपाल ने चरन सिंह के सीने पर दो गोलियां मारी थीं। उसके बाद रघुवीर ने कुल्हाड़ी से चरन की गर्दन पर वार करके उसे धड़ से लगभग अलग कर दिया था।
दिगम्बर सिंह ने बताया कि अपर सत्र न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक अदालत) प्रथम रवि कुमार दिवाकर ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद रघुवीर और उसके बेटे तेजपाल को हत्या का दोषी करार देते हुए उन्हें फांसी की सजा सुनाई तथा उन पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
रामायण के प्रसंग का जिक्र
जज ने सजा सुनाते हुए रामायण के प्रसंग का जिक्र करते हुए कहा कि भगवान राम के वनवास पर चले जाने के बाद (उनके भाई) भरत ने राजगद्दी लेने से इनकार कर दिया था। यह भाई के प्रेम को दर्शाता है।
आपने अपने भाई को ही मार डाला है। न्याय, सत्य और मर्यादा का पालन करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। जब कोई व्यक्ति मर्यादा का उल्लंघन करता है, तो उसे कठोर दंड दिया जाना चाहिए।
जज ने आगे कहा कि भारतीय समाज में न्याय और सत्य का आदर्श रामायण जैसे ग्रंथों में मिलता है। भगवान राम के समय में उनके भाई भरत ने राजगद्दी पर बैठने से इनकार कर दिया था।
राम के आदेश का पालन करते हुए उन्होंने प्रतीक के रूप में अपनी लकड़ी की चरण पादुकाएं राजगद्दी पर रख दीं। यह दर्शाता है कि एक भाई दूसरे भाई की गरिमा और अधिकारों का कितना सम्मान करता है।
जज ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आज के समय में जब एक भाई दूसरे भाई का दुश्मन बन जाता है और संपत्ति के विवाद में उसकी जान ले लेता है, तो यह समाज का अपमान है।
इसे रोकना अदालत का भी सर्वोच्च कर्तव्य है। रामायण हमें सिखाती है कि परिवार और समाज की मर्यादा को बनाए रखना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।